A hindi poem about Akta shakti
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मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकराएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकराएँगे । हर आँधी से हर बिजली से हर आफ़त से टकराएँगे ।। कब ज़ुल्मो-सितम की ताक़त से घबराकर ज़ेर हुए हैं हम । तुम जितना हमें दबाओगे हम उतना बढ़ते जाएँगे ।
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