Hindi, asked by jaykaranyadaviloveyo, 3 months ago

अंक 04
निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश की व्याख्या संदर्भ, प्रसंग सहित लिखिए
इतिहास साक्षी है, बहुत बार अकेले चने ने ही भाड़ फोड़ा है; और ऐसा फोड़ा है कि भाड़ में खिल-रि
ही नहीं हो गया, उसका निशान तक ऐसा छूमन्तर हुआ कि कोई यह भी न जान पाया कि वह बेचार
आखिर था कहाँ?
अथवा
मोदोहन से लेकर सतस्य-यज्ञ में पुरोहितों के चरण धोने तक तथा सुदामा की मैत्री से लेकर युद्ध भूनि
गीता के उपदेश तक उनकी ऊँचाई का एक पैमाना है, जिस पर सूर्य की किरणों की रंग-बिरंगी पेटी
तरह हमें आत्मिक विकास के हर एक स्वरूप दर्शन होता हैं।
काहीजे किले सपनों​

Answers

Answered by Anonymous
6

Answer:

पूछिए साहब- नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या नगीनासाज के पास? क्या आईनास के

पास? क्या मीना साज के पास? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाएगा? क्यामुझे बहुत कुछ करना है क्या तुम मेरी मदद करोगें। (? | !-)

निम्नलिखित शब्दों का उपयोग करते हुए एक कहानी लिखिए।

काकी, हलवा, व्यंजन, बूढ़ी, कचौरी, मेहमान, गाँव, शादी।

'पानी के महत्त्व' अथवा ' त्यौहारों का महत्व शीर्षक पर अनुच्छेदव मनुष्य पर कैसा पड़ता है तो उन्होंने बताया ही अपने कमरे पर अपना कार्य करता ही रहता ही राजीव यादव को अच्छी शिक्षा दी माता-पिता परिवार के अन्य सदस्यों, अड़ोस-पड़ोस के वातावरण, अपने मित्रों, पुस्तकों के ज्ञान आदि का प्रभाव पड़ता है। जीवन के व्यवहार में उसे जिस किसी से काम पड़ता है वह उसके गुण-दोषों से अछूता नहीं रहता। इस प्रकार जीवन के कई पड़ावों पर ये प्रभाव उसके संस्कार बनते जाते हैं। स्वभाव से ही मनुष्य ऊँचा उठना और आगे बढ़ना चाहता है। यही मनुष्य और पशु में अंतर है। पशु जहाँ के तहाँ पड़े हैं। मनुष्य अपने संस्कारों की पहचान कर विकास-मार्ग पर अग्रसर हो रहा है।

हमारे शुभ और उच्च संस्कार ही हमारी मानवता की पहचान हैं। यद्यपि हमारे शुभ संकल्प पूर्वजन्मों के कर्मों तथा इस जन्म की अच्छी संगति से जुड़े हुए हैं, फिर भी उन्हें पाने के लिए हमें अपना जीवन, स्वार्थ-त्यागकर नि:स्वार्थ भाव से बिताना होगा। आलस्य, प्रमाद छोड़ हमें परिश्रमी बनना होगा।

Similar questions