अंक 05
प्र020-निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिडे प्रश्नों के उत्तर लिखिए
मनुष्य का जीवन बहुत संघर्षमय होता है। उत्ते पग-पग पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता
• फिर भी ईश्वर के द्वारा जो मनुष्य रूपी दत्रदान की निर्मित इस पृथ्वी पर हुई मानो धरती का रूप ही
बदल गया है। यह संसार कर्म करते रहने दाले मनुष्यों के आधार पर ही टिका हुआ है। देवता भी उनसे
ईर्ष्या करते हैं। मनुष्य अपने कर्मबल के कारण श्रेष्ट है। धच है मनुष्य का जीवन।
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
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isaka saransh sangharshhoga
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