A letter to my mother in hindi on Mother’s Day
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Hi if u want in Hindi
मां,
पहली बार तुम्हें खत लिख रही हूं। तुमसे कभी ये बातें नहीं कीं, लेकिन आज अपना पूरा दिल तुम्हारे सामने खोल के रखने को मन कर रहा है। तुम्हारे लिए अपने एहसासों को शब्दों में पिरोना मुश्किल है मां, लेकिन फिर भी ये कोशिश कर रही हूं। भला कोई मां को कभी शब्दों में सीमित कर पाया है? इसलिए मैं तुम्हें सीमित नहीं, बल्कि अपने एहसासों को एक बार कैद करने के लिए ये खत लिख रही हूं।
अपनी 22 साल की जिंदगी में मैंने कभी रुक कर, मुस्कुरा कर, तुम्हें शुक्रिया नहीं कहा। मुझे माफ कर देना। इसलिए आज इस खत की शुरुआत तुम्हें शुक्रिया बोल कर कर रही हूं। शुक्रिया कि तुम हो। तुम हो तो मैं हूं। मेरे वजूद का कारण होने और मेरी जिंदगी को मतलब देने के लिए शुक्रिया मां। ऐसा मत समझना कि शुक्रिया बोल कर तुम्हारे प्यार को लौटा रही हूं। तुम्हारा प्यार तो मेरी जिंदगी है, उसे कैसे लौटा सकती हूं भला।
आज मैं तुमसे मीलों दूर हूं और इस दूरी का एहसास मुझे हर वक्त होता है। जब भी मैं किसी बच्चे को उसकी मां से लिपटा देखती हूं या सड़क पर नन्हीं उंगलियों का अपनी मां के हाथों में भरोसा देखती हूं तो बस मन करता है कि तुम्हारी गोद में आकर बिखर जाऊं, जैसा बचपन में करती थी। मैं जानती हूं तुम्हारा मन भी करता होगा। बचपन ही सुहाना था जब तुम मेरे सो जाने के बाद भी मुझे अपनी गोद में ले खाना खिलाती थी। आज अपने हाथ के बनाए खाने में वो स्वाद नहीं आता जो तुम्हारी खिलाई दूध-रोटी में होता था। तुम्हारी गोद में सिर रख जब सोती थी नींद तो तब पूरी होती थी। अब तो केवल जरुरत भर पूरी हो जाती है।
तुमने जितना मुझे लाड किया मैंने उतना तुम्हें परेशान किया है। खाने में नखरे, पढ़ाई से ज्यादा टीवी देखना, लेकिन तुमने मेरे सारे नखरे झेले हैं, ना जानें कैसे? मैं जब भी चिढ़ जाती हूं अपने आस-पास की बेमतलब चीजों से तो सोच में पड़ जाती हूं कि कैसे तुम्हारे अंदर इतना सब्र है? तुम्हें देख के मुझे कभी-कभी अचंभा होता है कि कैसे तुम बिना थके इतना सब कर लेती हो हर रोज? कैसे तुम रेलगाड़ी की तरह सरपट दिन भर घर में दौड़ती रहती हो? मैं सच बताऊं तो मेरा तो ऑफिस से आकर खाना बनाने तक का मन नहीं करता, तुम ना जानें कैसे सालों से मुझे वो लजीज खाना बना कर खिला रही हो। सबकी पसंद का खयाल खुद से आगे कैसे रख लेती हो मां?
तुम मेरी पहली गुरु हो। तुम्हारी दी शिक्षा हमेशा स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली बातों से गहरी रही। मेरे ज्ञान की तलाश जरूर उन्होंने पूरी की हो लेकिन वो तुम हो जिसने मुझे एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। इस दुनिया में जीने के लिए सही मायनों में तुमने मुझे तैयार किया है।
तुम हमेशा मेरे लिए खड़ी रही। मेरे हर फैसले का सपोर्ट किया। जब सभी अपनी बेटियों को सलवार-कमीज की लाज उढ़ा रहे थे, तुमने मुझे स्कर्ट पहनाई। मेरे कपड़ों पर जब भी इस पुरुष प्रधान समाज में सवाल उठाए गए, तुमने उनका जवाब अकेले दिया। मेरी हर खुशी के लिए तुम लड़ीं। चाहे वो घर की शादी छोड़ कैंपिंग पर जाना हो या दिल्ली जैसे अंजान शहर में आगे की जिंदगी तलाशने आना हो। तुमने जिंदगी के हर कदम पर मुझे संभाला है। जब-जब मेरे हौसले टूटे, जब-जब मैं लड़खड़ाई, तुमने अपने प्यार और फटकार से मुझे कभी ना हारने की हिम्मत दी। तुम्हारी फिक्र ने कभी मेरे फैसलों पर सवाल भी उठाए पर फिर भी तुम मेरे फैसलों के साथ खड़ी रही। मेरे लिए तुम्हारा प्यार और मुझपर तुम्हारा भरोसा उनपर हावी रहा।
मुझे आज भी याद है जब 12वीं की बोर्ड परिक्षाओं के वक्त मैं एग्जाम हॉल में चक्कर खाकर गिर गई थी और टीचर ने तुम्हें फोन लगाया था तो तुम कितनी घबरा गई थी। कैसे तुमने पापा को तुरंत मुझे लाने भेजा था। हमेशा पढ़ाई के पीछे भागने वाली मेरी मां ने ये फिक्र ही छोड़ दी थी कि कहीं मैं फेल ना हो जाऊं। दो घंटे बाद जब मैं घर आई थी तो तुम्हारी आंखें लाल थीं। ऐसे ना जानें कितनी बार मैंने तुम्हें परेशान किया है, तुम्हें रुलाया है। उन सभी कारणों के लिए माफ करना।
आखिर में तुम्हें बस फिर एक बार शुक्रिया कहूंगी। भईया से ज्यादा मुझे प्यार करने के लिए शुक्रिया। मेरी जिंदगी में चट्टान बन तुमने मुझे हर तकलीफ से बचाया है, उसके लिए शुक्रिया। मैंने पूरा तुम्हारी तरह बनने की कोशिश की है, फिर चाहे वो तुम्हारे जैसी दुनिया की सबसे लाजवाब चाय बनाना हो या तुमसा मजबूत बनना। मेरी ये कोशिश ताउम्र जारी रहेगी...
हैप्पी मदर्स डे मां।
मां,
पहली बार तुम्हें खत लिख रही हूं। तुमसे कभी ये बातें नहीं कीं, लेकिन आज अपना पूरा दिल तुम्हारे सामने खोल के रखने को मन कर रहा है। तुम्हारे लिए अपने एहसासों को शब्दों में पिरोना मुश्किल है मां, लेकिन फिर भी ये कोशिश कर रही हूं। भला कोई मां को कभी शब्दों में सीमित कर पाया है? इसलिए मैं तुम्हें सीमित नहीं, बल्कि अपने एहसासों को एक बार कैद करने के लिए ये खत लिख रही हूं।
अपनी 22 साल की जिंदगी में मैंने कभी रुक कर, मुस्कुरा कर, तुम्हें शुक्रिया नहीं कहा। मुझे माफ कर देना। इसलिए आज इस खत की शुरुआत तुम्हें शुक्रिया बोल कर कर रही हूं। शुक्रिया कि तुम हो। तुम हो तो मैं हूं। मेरे वजूद का कारण होने और मेरी जिंदगी को मतलब देने के लिए शुक्रिया मां। ऐसा मत समझना कि शुक्रिया बोल कर तुम्हारे प्यार को लौटा रही हूं। तुम्हारा प्यार तो मेरी जिंदगी है, उसे कैसे लौटा सकती हूं भला।
आज मैं तुमसे मीलों दूर हूं और इस दूरी का एहसास मुझे हर वक्त होता है। जब भी मैं किसी बच्चे को उसकी मां से लिपटा देखती हूं या सड़क पर नन्हीं उंगलियों का अपनी मां के हाथों में भरोसा देखती हूं तो बस मन करता है कि तुम्हारी गोद में आकर बिखर जाऊं, जैसा बचपन में करती थी। मैं जानती हूं तुम्हारा मन भी करता होगा। बचपन ही सुहाना था जब तुम मेरे सो जाने के बाद भी मुझे अपनी गोद में ले खाना खिलाती थी। आज अपने हाथ के बनाए खाने में वो स्वाद नहीं आता जो तुम्हारी खिलाई दूध-रोटी में होता था। तुम्हारी गोद में सिर रख जब सोती थी नींद तो तब पूरी होती थी। अब तो केवल जरुरत भर पूरी हो जाती है।
तुमने जितना मुझे लाड किया मैंने उतना तुम्हें परेशान किया है। खाने में नखरे, पढ़ाई से ज्यादा टीवी देखना, लेकिन तुमने मेरे सारे नखरे झेले हैं, ना जानें कैसे? मैं जब भी चिढ़ जाती हूं अपने आस-पास की बेमतलब चीजों से तो सोच में पड़ जाती हूं कि कैसे तुम्हारे अंदर इतना सब्र है? तुम्हें देख के मुझे कभी-कभी अचंभा होता है कि कैसे तुम बिना थके इतना सब कर लेती हो हर रोज? कैसे तुम रेलगाड़ी की तरह सरपट दिन भर घर में दौड़ती रहती हो? मैं सच बताऊं तो मेरा तो ऑफिस से आकर खाना बनाने तक का मन नहीं करता, तुम ना जानें कैसे सालों से मुझे वो लजीज खाना बना कर खिला रही हो। सबकी पसंद का खयाल खुद से आगे कैसे रख लेती हो मां?
तुम मेरी पहली गुरु हो। तुम्हारी दी शिक्षा हमेशा स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली बातों से गहरी रही। मेरे ज्ञान की तलाश जरूर उन्होंने पूरी की हो लेकिन वो तुम हो जिसने मुझे एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। इस दुनिया में जीने के लिए सही मायनों में तुमने मुझे तैयार किया है।
तुम हमेशा मेरे लिए खड़ी रही। मेरे हर फैसले का सपोर्ट किया। जब सभी अपनी बेटियों को सलवार-कमीज की लाज उढ़ा रहे थे, तुमने मुझे स्कर्ट पहनाई। मेरे कपड़ों पर जब भी इस पुरुष प्रधान समाज में सवाल उठाए गए, तुमने उनका जवाब अकेले दिया। मेरी हर खुशी के लिए तुम लड़ीं। चाहे वो घर की शादी छोड़ कैंपिंग पर जाना हो या दिल्ली जैसे अंजान शहर में आगे की जिंदगी तलाशने आना हो। तुमने जिंदगी के हर कदम पर मुझे संभाला है। जब-जब मेरे हौसले टूटे, जब-जब मैं लड़खड़ाई, तुमने अपने प्यार और फटकार से मुझे कभी ना हारने की हिम्मत दी। तुम्हारी फिक्र ने कभी मेरे फैसलों पर सवाल भी उठाए पर फिर भी तुम मेरे फैसलों के साथ खड़ी रही। मेरे लिए तुम्हारा प्यार और मुझपर तुम्हारा भरोसा उनपर हावी रहा।
मुझे आज भी याद है जब 12वीं की बोर्ड परिक्षाओं के वक्त मैं एग्जाम हॉल में चक्कर खाकर गिर गई थी और टीचर ने तुम्हें फोन लगाया था तो तुम कितनी घबरा गई थी। कैसे तुमने पापा को तुरंत मुझे लाने भेजा था। हमेशा पढ़ाई के पीछे भागने वाली मेरी मां ने ये फिक्र ही छोड़ दी थी कि कहीं मैं फेल ना हो जाऊं। दो घंटे बाद जब मैं घर आई थी तो तुम्हारी आंखें लाल थीं। ऐसे ना जानें कितनी बार मैंने तुम्हें परेशान किया है, तुम्हें रुलाया है। उन सभी कारणों के लिए माफ करना।
आखिर में तुम्हें बस फिर एक बार शुक्रिया कहूंगी। भईया से ज्यादा मुझे प्यार करने के लिए शुक्रिया। मेरी जिंदगी में चट्टान बन तुमने मुझे हर तकलीफ से बचाया है, उसके लिए शुक्रिया। मैंने पूरा तुम्हारी तरह बनने की कोशिश की है, फिर चाहे वो तुम्हारे जैसी दुनिया की सबसे लाजवाब चाय बनाना हो या तुमसा मजबूत बनना। मेरी ये कोशिश ताउम्र जारी रहेगी...
हैप्पी मदर्स डे मां।
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