A line by line explanation of the poem aadminama .ITS URGENT PLEASE!!!
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Hi friend ✨✨✨
इस पाठ के लेखक नज़ीर अकबर बादी है।।।।
●●●आदमी नामा पाठ में लेखक ने बताया हैं की चाहे कोई अमीर ,गरीब,और जो स्वादिष्ट भोजन खाते है या जो सिर्फ भूख मिटाने के लिए खाना खाते हैं। यह सब है तो आदमी ही न।।।।।।(para-1)
●●●दूसरे पैराग्राफ मैं कहा गया है कि जिस ने मज्जिद बनाया है व जो कुरान का मतलब यह समझा रहे है व जो मज्जिद से जुतिया चुरा रहा है औऱ जो उन पर नजर रख रहा है ।वह सब आदमी ही है।।।।(((पारा-----2))
●●●तीसरे पैराग्राफ मैं लेखक कह रहे है दुसरो की पगड़ी उछालना व वह जो उसको बचाने के लिए दौरा है वह सब आदमी ही है।।(पारा---3)
इस पूरे कविता में यह बताया गया है कि चाहे कोई कैसा भी हो पर वह है तो आदमी ही।।।।।
FOURTH PARA
--kavi kahte hai ki srifo sai bure tak v raja se renk tak sab aadmi hi hai..Yeh admi hi hai jo dil ko lubhate hai v vah bhi admi hi hai jo kale kaam karte hai.Yeh admi hi sant hai v yah admi hi btk hai .Acha bhi admi hi hai jaise njir mhan kavi ...
Hope it is helpful✨✨✨✨
इस पाठ के लेखक नज़ीर अकबर बादी है।।।।
●●●आदमी नामा पाठ में लेखक ने बताया हैं की चाहे कोई अमीर ,गरीब,और जो स्वादिष्ट भोजन खाते है या जो सिर्फ भूख मिटाने के लिए खाना खाते हैं। यह सब है तो आदमी ही न।।।।।।(para-1)
●●●दूसरे पैराग्राफ मैं कहा गया है कि जिस ने मज्जिद बनाया है व जो कुरान का मतलब यह समझा रहे है व जो मज्जिद से जुतिया चुरा रहा है औऱ जो उन पर नजर रख रहा है ।वह सब आदमी ही है।।।।(((पारा-----2))
●●●तीसरे पैराग्राफ मैं लेखक कह रहे है दुसरो की पगड़ी उछालना व वह जो उसको बचाने के लिए दौरा है वह सब आदमी ही है।।(पारा---3)
इस पूरे कविता में यह बताया गया है कि चाहे कोई कैसा भी हो पर वह है तो आदमी ही।।।।।
FOURTH PARA
--kavi kahte hai ki srifo sai bure tak v raja se renk tak sab aadmi hi hai..Yeh admi hi hai jo dil ko lubhate hai v vah bhi admi hi hai jo kale kaam karte hai.Yeh admi hi sant hai v yah admi hi btk hai .Acha bhi admi hi hai jaise njir mhan kavi ...
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