अ) निम्न लिखित गद्यांश पढ़िए और पूछे गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में
लिखिए।
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एक दिन संध्या समय, होस्टल से दूर मैं एक कनकौआ लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था। आँखे
आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंदगति से झूमता पतन की ओर
चला आ रहा था, माना कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जो रही
हो । बालकों की पूरी सेना लग्गे और झाड़दार बाँस लिए इनका स्वागत करने को दौड़ी आ रही थी।
किसी को अपने आगे-पीछे की खबर न थी। सभी मानो उस पतंग के साथ आकाश में उड़ रहे थे,
जहाँ सबकुछ समतल है, ' मोटरकारें हैं, न ट्राम न गाड़ियाँ । सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई,
जो शायद बाज़ार से लौट रहे थे। उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया और उग्र भाव से बोले-इन बाजारी
लौंडो के साथ धेले के कनकौए के लिए दौडते तुम्हे शर्म मही आती? तुम्हें इसका भी कुछ लिहाज
नही कि अब नीची जमान में नहीं हो, बल्कि आठवी जमान में आ गए हो और मुझसे केवल एक दरजा
नीचे हो । आखिर आदमी को कुछ तो अपनी पोजीशन का खयाल रखना चाहिए।
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