a nibandh on iternt-vardan ya abhishap?
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इन्टरनेट: वरदान या अभिशाप
इन दिनो युवाओं के बीच एक मुहावरेदार सच खासा लोकप्रिय है। मोबाईल के साथ बढ़ते इन्टरनेट के उपयोग ने एक नये तथ्य को जन्म दिया हैे,कि आधि दुनिया जेब में। किसी सिक्के के समान इन्टरनेट के भी देा पक्ष है,एक सकारात्मक तो दूसरा नकारात्मक। इन दिनो इन्टरनेट एवं उसके विस्तार के साथ उत्पन्न हुई समस्याअेां की ओर पूरे देश का ध्यान गया है।
सवाल अनेक है विज्ञान के इस इन्टरनेट रूपी चमत्कार ने हमारे आस पास के छोटी छोटी चीजों को भी परिवर्तित कर दिया है कल तक जिस समाज के परिवारों में माता पिता, भाई बहन, आपस में बतियाने में मशगूल रहते थे, आज वही समाज अपने सदस्यों की ओर टकटकी लगाए देख रहा है। कि कोई तो हेागा जो कहकहो और मुस्कुराहटों के उस दौर को वापस लायेगा। वर्तमान तेज रफतार जीवन में सामाजिक रिश्तों का तेजी से विनाश हेा रहा है।
आज मोबाईल क्रांति के परिणामस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति एक संदेश छोड़कर अपने सामाजिक दायित्वों से हाथ खींच ले रहा है। मेाबाइल रूपी यह छोटा सा डिब्बा इन्टरनेट रूपी मायाजाल से जुडा हुआ हेाता है। जिसके पणिामस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति जहां बैठा वहीं बैठकर पूरी दुनिया एवं सारे संसार से सीधा जुड़ जाता है।इस मोबाइल रूपी मायाबी डिब्बे के फोन काल एवं संगीत सुनने में बड़े मधुर लगते हंै। किंतु यथार्थ के धरातल पर देखा जाये तो यही डिब्बा अनेक समस्याओं की जड़ है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स की मदद से महत्वपूर्ण एवं महत्वहिन दोनों प्रकार के सूचानाओं का आदान प्रदान किया जाता है। सच्चे किस्सों तथा ज्ञानवद्र्धक तथ्यों के साथ साथ विचारोतेजक एवं अश् िलल तस्वीरों का आदान प्रदान भी इन्टरनेट के माध्यम से किया जा सकता है। छुरी या चाकू का उपयोग आम तौर पर फल एवं सब्जी काटने के लिये किया जाता है। परंतु अपराधी वर्ग इसका उपयोग किसी की गर्दन काटने के लिये करते हेैं। अवयस्क मस्तिष्क में इन्टरनेट की अच्छी बुरी बातें और कई प्रकार के तश्वीरेंा का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एवं उनके अवचेतन मस्तिष्क में तूफान को जन्म दे रही है।
आज स्थिति ऐसी आ गई है कि इन्टरनेट के बिन सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में एक कदम भी चलना संभव नही है। सामान्यतया अन्त में अच्छाई की ही जीत हेाती है। इसलिए इन्टरनेट से भी बुराई नष्ट हो जायेगी।