(a) प्रतिध्वनि और अनुरणन क्या होते हैं?
(b) एक हॉल में अत्यधिक अनुरणन को नियंत्रित करने के लिए क्या इन्तजाम
करने चाहिए? (कोई तीन इन्तजाम)
Answers
Explanation:
मनोध्वनिकी तथा ध्वनिकी में अनुरणन (Reverberation) का अर्थ है ध्वनि उत्पन्न होने के बाद उसका बहुत देर तक बने रहना। अनुरणन तब उत्पन्न होता है जब ध्वनि अनेकानेक बार परावर्तित होने के कारण जुड़ती चली जाती है। अनुरणन के बाद ध्वनि विभिन्न वस्तुओं (दीवार, कुर्सी, मेज, लोग आदि) से अवशोषित होकर क्रमशः क्षीण हो जाती है। अनुरणन की परिघटना को उस समय आसानी से अनुभव किया जाता है जब ध्वनि उत्पन्न करने वाला स्रोत (जैसे स्पीकर) बन्द हो जाने के बाद भी ध्वनि बहुत देर तक बनी रहे अर्थात् तुरन्त समाप्त होने के बजाय धीरे-धीरे क्षीण होते हुए भी बहुत देर तक बनी रहती है।
अनुरणन की क्रिया आवृत्ति पर भी निर्भर करती है। विशेष कक्षों की डिजाइन करते समय वांक्षित अनुरणन-समय की प्राप्ति के लिये कुछ चीजों पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है।
यदि अनुरणन की तुलना प्रतिध्वनि से करनी हो तो ध्यातव्य है कि प्रतिध्वनि को स्पष्ट रूप से सुनने के लिये कम से कम 50 मिलीसेकेण्ड से 100 मिलीसेकेण्ड का समयान्तराल होना आवश्यक है, किन्तु अनुरणन के लिये परावर्तित ध्वनि ५० मिलीसेकेण्ड के अन्दर ही पहुँच जानी चाहिये।
अनुरणन केवल कमरों के अन्दर ही नहीं होता बल्कि वनों में भी और अन्य स्थानों पर भी सम्भव है।