(अ) पाध्यांश पठीत्वा निर्दिष्ट: कृती कुरुत।
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जिस प्रकार सोने कि चार परीक्षा ली जाती है घिस कर ; छेद कर ; तपा कर और मार कर
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पद्यांश पठित्वा निर्दिष्टा: कृती: कुरुत।
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नमगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यश:सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्
विद्या राजसु पूज्यते न तु धनं विद्याविहीन: पशुः
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