a paragraph on swach bharat abhiyan in hindi for class 10th
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प्रधानमंत्री की क्रांतिकारी अभियानों में से एक ‘स्वच्छ भारत अभियान’ अपने आप में अनूठा है। भारत सरकार की यह पहल प्रशंसनीय है। आजकल इस मुद्दे पर आए-दिन चर्चा होती है। स्कूल-कॉलेजों में भी विभिन्न प्रतियोगिताओं और परीक्षाओं में यह विषय दिया जाने लगा है। चूंकि यह प्रधानमंत्री की विकास योजनाओं में से एक है। इसलिए यह अपेक्षा की जाती है कि शैक्षणिक स्तर पर सबको इसकी जानकारी रहे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यहाँ कुछ छोटे-बड़े निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि विभिन्न पक्षों पर आपकी मदद करेगें।
स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार की सराहनीय कोशिश है। देखा जाए तो, अपने आस-पास साफ-सफाई रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। अगर सभी को अपनी जिम्मेदारियों का आभास होता, तो इस अभियान की जरूरत ही नही पड़ती।
कितनी शर्मिन्दगी की बात है कि हर कोई अपना घर तो जरूर साफ करता है, लेकिन अपनी सारी गंदगी, कूड़ा-कचरा बाहर, गलियों, सड़को और चौराहों पर फेंक देते है। ये नहीं सोचते कि पूरा देश ही हमारा घर है। इसे भी साफ रखना हमारा ही काम है। कोई पड़ोसी या बाहर का नहीं आएगा साफ करनें, इसे हमें ही साफ करना है।
Explanation:
i am feeling haapy to help you
and hope its help u
Answer:
2 अक्टूबर 2014, को शुरु हुए इस अभियान का लक्ष्य गांधी जी के 150वी जयंती, 2019 तक भारत को 'स्वच्छ भारत' करना था। ... खुले में शौच की प्रवृति से भारत को मुक्ति दिलाना ही इसका प्रथम ध्येय है। इसके तहत सरकार ने गांव-गांव में शौचालयों का निर्माण कराया। साथ ही लोगों से अपील भी की, कि वो इन शौचालयो का प्रयोग करें।
खुले में शौच की प्रवृति से भारत को मुक्ति दिलाना ही इसका प्रथम ध्येय है। इसके तहत सरकार ने गांव-गांव में शौचालयों का निर्माण कराया। साथ ही लोगों से अपील भी की, कि वो इन शौचालयो का प्रयोग करें। बाहर में जाने की आदत को त्यागें। इतना ही नहीं, लोगो में जागरुकता फैलाने के लिए जगह-जगह कैम्प लगाये जाते हैं, नुक्कड़ नाटकों के माध्यमों से उन्हें इसके लाभ से परिचित कराया जाता है। ग्राम-पंचायतों की मदद से सभी घरों में उचित अपशिष्ट प्रबंधन का गण भी सिखाया जाता है। और हर घर में पानी की पाइपलाईन भी बिछाई गई है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाला भारत, उसमें से भी आधी से ज्यादा आबादी आज भी गांवो में ही निवास करती हैl
अगर आँकड़ो की ओर नज़र घुमायें, तो 2011 की जनगणना के अनुसार, 16.78 करोड़ घरों में लगभग-लगभग 72.2% जनसंख्या गांवो में रहती है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल 5.48 करोड़ घरो में ही शौचालयों का प्रयोग किया जाता रहा है। तात्पर्य यह है कि 67% घरो में लोग, अब भी यह सुविधा का लाभ नहीं उठाते। 2012-13 में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा कराया गये सर्वेक्षण के अनुसार 40% ग्रामीण घरों में शौचालय है। 60% अब भी बाकी है। सरकारी खर्चे की अगर बात करें तो, 5 वर्षों के लिए अनुमानित राशि 62,009 करोड़ रुपये की है और इसमें लगभग 14,623 करोड़ रुपये की सहायता केंद्र सरकार की ओर से हुई है।