a passage on topic do good find good (kar bhala ho bhala)
Answers
Answer:
Explanation:
संसार में हम लोगों के साथ जैसा व्यवहार करते हैं उसी प्रकार का व्यवहार लोग हमारे साथ करते हैं। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि दूसरे लोग संकट के समय हमारी सहायता करें तो हमें भी संकट की घड़ी में उनकी सहायता करनी चाहिए। चींटी और कबूतर की कहानी इसी तय को प्रकट करती है।
एक बार एक चींटी किसी वृक्ष की शाखा पर चल रही थी। वह वृक्ष नदी के तटपर था। अचानक तेज़ हवा के झोकें से चींटी नदी में गिर पड़ी ओर बहने लगी। चींटी ने बचने का प्रयास किया, लेकिन असफल रही। अब वह सहायता के लिए इदर-उधर देखने लगी। उस चींटी की यह स्थिति अचानक पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने देख ली। उस चिड़िया ने तुरंत ही पेड़ की डाल से एक पत्ता तोडा ओर उसे पानी में चींटी के समीप डाल दिया। चींटी उस पत्ते पर बैठ गई। ओर वह चिड़िया पत्ते को पुंन: चोंच पर उठाकर ले गई। इस प्रकार चींटी के जीवन की रक्षा चिड़िया ने कर ली।
अब कुछ दिनों बाद उस जंगल में एक शिकारी आया और उसने उसी पेड़ के पास आकर पेड़ पर बैठी उस चिड़िया को निशाना बनाना चाहा। चिड़िया को इस बात का ज्ञान नहीं था कि शिकारी उसकी जान लेना चाहता है। अत: वह चुपचाप बैठी रही। तब उस चींटी, जो उस वृक्ष के तने पर बैठी थी, की नज़र शिकारी पर पड़ी। उसने देखा कि उसके प्राणों की रक्षा करने वाली चिड़िया का जीवन अब संकट में है तो उसने तुरन्त ही तने से उतरना आरम्भ कर दिया। वह शिकारी के पास गई और उसकी बाँह तक चढ़ गई। अब उसने उसकी बांह पर जोर से डंक मारा। इस प्रकार शिकारी का निशाना चूक गया और तीर दूसरे पत्तों पर से टकरा कर निकल गया। चिड़िया ने नीचे देखा कि शिकारी उसकी जान लेना चहता था। चींटी ने उस चिड़िया की जान बचा ली। चिड़िया के भले व्यवहार के बदले उसके भी प्राणों की रक्षा हो गई।
शिक्षा- कर भला हो भला, अन्त भले का भला।