Hindi, asked by kondalaneeraja89, 9 months ago

a poem in hindi on nadi

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Answered by nariyalchampa
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Explanation:

मैं नदी हूं

हिमालय की गोद से बहती हूं

तोड़कर पहाड़ों को अपने साहस से

सरल भाव से बहती हूं।

लेकर चलती हूं मैं सबको साथ

चाहे कंकड़ हो चाहे झाड़

बंजर को भी उपजाऊ बना दू

ऐसी हूं मैं नदी।

बिछड़ों को मैं मिलाती

प्यासे की प्यास में बुझाती

कल-कल करके में बहती

सुर ताल लगाकर संगीत बजाती।

कहीं पर गहरी तो कहीं पर उथली हो जाती

ना कोई रोक पाया ना कोई टोक पाया

मैं तो अपने मन से अविरल बहती

मैं नदी हूं।

मैं नदी हूं

सब सहती चाहे आंधी हो या तूफान

चाहे शीत और चाहे गर्मी

कभी ना रूकती, कभी ना थकती

मैं नदी सारे जहां में बहती।

– नरेंद्र वर्मा

Answered by kanishka1189
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