a poem on dhool written by sarveshwar dayal saxena
Answers
तुम ढुल हो-
परॉन से रोन्डी हुई धूल
होके हव्वा के सथ उथो
औरही बीएन यूडीआई आँखों मे पाडो
जिन्के पेरॉन के आला हो
एसी कोई जोगा नहीं
जॉन तुझे पहंच ना पाठो
एसा कोई नहीं
जो तुम्हे रॉक ले
तुम ढुल हो-
परॉन से रोन्डी हुई धूल
ढुल से मिल जाए
दो बैलों की कथा
जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा
जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का
बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं।
गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन, उसकी
निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका
निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याही
हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है।
कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध
आ ही जाता है, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा।
जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने
डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी नहीं दिखाई देगी।
वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता है, पर हमने तो उसे कभी खुश
होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर स्थाई विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है।
सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों
के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं, पर आदमी उसे बेवकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर!