a poem on mahatma hansraj in hindi
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hlo........................................
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उत्तर महात्मा हंसराज की लिखी कविता
क्या चली क्या चली ये हवा क्या चली
खौफ़ से कांप उठी बाग में हर कली
लोग-बाग आज हैं इस कदर बदहवास
ढूंढते हैं अपना घर इस गली उस गली
ढेर की ढेर फुटपाथ पर रेंगती
जिन्दगी दोस्तो ! लाश है अधजली
जुस्तजू जिस की थी ग़ैर वो ले गये
तुम उठा लाये हो सांप की केंचली
अर्श से फ़र्श तक यकबयक कौंधती
आग-सी इक सदा “दिल जली दिल जली”
कुछ अजब-सी बला जान पर आ बनी
शहर में गांव में मच गई खलबली
ये किस रहनुमा का करिश्मा है ‘रहबर’
देश भर का चलन बन गई धांधली
Explanation:
क्या चली क्या चली ये हवा क्या चली
खौफ़ से कांप उठी बाग में हर कली
लोग-बाग आज हैं इस कदर बदहवास
ढूंढते हैं अपना घर इस गली उस गली
ढेर की ढेर फुटपाथ पर रेंगती
जिन्दगी दोस्तो ! लाश है अधजली
जुस्तजू जिस की थी ग़ैर वो ले गये
तुम उठा लाये हो सांप की केंचली
अर्श से फ़र्श तक यकबयक कौंधती
आग-सी इक सदा “दिल जली दिल जली”
कुछ अजब-सी बला जान पर आ बनी
शहर में गांव में मच गई खलबली
ये किस रहनुमा का करिश्मा है ‘रहबर’
देश भर का चलन बन गई धांधली
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