A poem on swatantrata (freedom) in Hindi, FAST please . Thanks
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भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान अनंत रहेगा
इस वतन को आज़ाद करने के लिए उन वीरों ने दी थी कुर्वानी,
मर गए वतन के लिए, देश को दे दी जबानी I
देश की नई पीढ़ी को हर माँ-बाप सुनायेगा उनकी कहानी,
बहाया है उन्होंने लहू इस भारत को बनाने में, इसे न समझो कहानी II
सब शहीदों भगत, आज़ाद, गांधी आदि ने था सोचा सपना,
हर तरफ खुशहाली, उन्नति, स्वरोजगार, साक्षरता संपन्न ऐसा होगा भारत अपना I
अपना पराया नहीं, लड़ाई झगड़ा नहीं, हो उन्नत खुशहाल ऐसा होगा भारत अपना,
देशवासियों! हमें न भूल जाना, इसे बनाने के लिए लहू पड़ा है अपना II
कई मुश्किलों का सामना किया, कई को गवां दिया पर मंजिल पर पहुँच गए,
जो फांसी पर झूल गए, क्या तुम उन्हें भूल गए I
हमने अपना जीवन वतन को दिया, आपको आज़ाद कर गए,
हमने गोलियां खाई जंगलों में भटके, और फांसी पर झूल गए II
इस वतन को आज़ाद करने के लिए उन वीरों ने दी थी कुर्वानी,
मर गए वतन के लिए, देश को दे दी जबानी I
देश की नई पीढ़ी को हर माँ-बाप सुनायेगा उनकी कहानी,
बहाया है उन्होंने लहू इस भारत को बनाने में, इसे न समझो कहानी II
सब शहीदों भगत, आज़ाद, गांधी आदि ने था सोचा सपना,
हर तरफ खुशहाली, उन्नति, स्वरोजगार, साक्षरता संपन्न ऐसा होगा भारत अपना I
अपना पराया नहीं, लड़ाई झगड़ा नहीं, हो उन्नत खुशहाल ऐसा होगा भारत अपना,
देशवासियों! हमें न भूल जाना, इसे बनाने के लिए लहू पड़ा है अपना II
कई मुश्किलों का सामना किया, कई को गवां दिया पर मंजिल पर पहुँच गए,
जो फांसी पर झूल गए, क्या तुम उन्हें भूल गए I
हमने अपना जीवन वतन को दिया, आपको आज़ाद कर गए,
हमने गोलियां खाई जंगलों में भटके, और फांसी पर झूल गए II
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आह्वान: अशफाकउल्ला खां
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे
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