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संज्ञानात्मक सूचना सायाकरण सर्वात
को अपने वैर्मिक जीवन
में विखरे विविध दूरह के अनुअने
चिकोत्रा कर
आधार पर
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संज्ञानात्मक विकास तंत्रिकाविज्ञान तथा मनोविज्ञान का एक अध्ययन क्षेत्र है जिसमें बालक द्वारा सूचना प्रसंस्करण, भाषा सीखने, तथा मस्तिष्क के विकास के अन्य पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
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संज्ञानात्मक विकास (Cognitive development) तंत्रिकाविज्ञान तथा मनोविज्ञान का एक अध्ययन क्षेत्र है जिसमें बालक द्वारा सूचना प्रसंस्करण, भाषा सीखने, तथा मस्तिष्क के विकास के अन्य पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
संज्ञान (कॉग्नीशन) से तात्पर्य मन की उन आन्तरिक प्रक्रियाओं और उत्पादों से है, जो जानने की ओर ले जाती हैं। इसमें सभी मानसिक गतिविधियाँ शामिल रहती हैं- ध्यान देना, याद करना, सांकेतीकरण, वर्गीकरण, योजना बनाना, विवेचना, समस्या हल करना, सृजन करना और कल्पना करना। निश्चित ही हम इस सूची को आसानी से बढ़ा सकते हैं क्योंकि मनुष्यों के द्वारा किये जाने वाले लगभग किसी भी कार्य में मानसिक प्रक्रियाएँ शामिल हो जाती हैं। जीवन निर्वाह के लिए हमारी संज्ञानात्मक शक्तियाँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण की बदलती दशाओं के अनुरूप अपने को ढालने में दूसरी प्रजातियों को छद्मावरण, पंखों, फरों और विलक्षण रफ़्तार का लाभ मिलता है। इसके विपरीत, मनुष्य सोचने पर निर्भर करते हैं जिसके द्वारा वे न सिर्फ अपने पर्यावरण के अनुरूप खुद को ढाल लेते हैं बल्कि उसे रूपांतरित भी कर देते हैं। अपनी असाधारण मानसिक क्षमताओं के चलते हम पृथ्वी के समस्त प्राणियों के बीच श्रेष्ठ हो जाते हैं।
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