Hindi, asked by auxiliadominic, 6 months ago

       अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम - बेलि बोयी

       अब त बेलि फैलि गयी, आणंद-फल होयी

       दूध की मथनियां बड़े प्रेम से विलोयी

       दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

प्रश्न (क) उपर्युक्त काव्यांश में कौन-कौनसे अलंकारों का प्रयोग किया गया है? 

प्रश्न (ख) काव्यांश में प्रयुक्त भाषा को स्पष्ट कीजिए। 

प्रश्न (ग) काव्यांश में प्रयुक्त प्रतीकों को समझाइए। ​

Answers

Answered by shishir303
5

अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम - बेलि बोयी ,

अब त बेलि फैलि गयी, आणंद-फल होयी ,

दूध की मथनियां बड़े प्रेम से विलोयी  ,

दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी।।

(क) उपर्युक्त काव्याश में साँगरूपक अलंकार का प्रयोग है, जैसे प्रेमबेलि, आणंद फल, अंसुवन जल आदि।

‘सींचि-सचि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

‘बेलि बोयी’ जैसे शब्दों में अनुप्रास अलंकार भी है।

(ख) काव्य में राजस्थानी मिश्रित ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है।

(ग) काव्य में प्रतीकों का शानदार उपयोग किया गया है। यहाँ पर दही जीवन का प्रतीक है. तो घृत यानि घी भक्ति का प्रतीक है। छोयी यानि छाछ सारहीन संसार का प्रतीक है।

मीराबाई ने मथनी का उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयत्न किया है, कि जिस तरह दही को मथने से घी ऊपर आ जाता है, उसी तरह जीवन का मंथन करने से कृष्ण रूपी प्रेम भी ऊपर आ जाता है जो नीचे छाछ रह जाता है, वह सारहीन संसार का प्रतीक है।

☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼

Similar questions