अंश पूंजी और ऋण पत्र में अंतर बताएं
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स्वामित्व- एक अंश धारक कंपनी का स्वामी होता है जबकि ऋणपत्र धारक केवल एक ऋणदाता होता है।
प्रतिफल- अंश पर प्रत्याय को लाभांश के नाम से जाना जाता है जबकि ऋणपत्र पर प्रत्याय को ब्याज के नाम से जानते हैं।
मतदान अधिकार-अंश धारकों को कंपनी के निर्णयों में वोट डालने का अधिकार होता है जबकि ऋणपत्र धारक प्रायः किसी भी तरह के मतदान अधिकार का लाभ नहीं पाते हैं।
सुरक्षा- अंश किसी भी प्रकार से सुरक्षित नहीं माने जाते जबकि ऋणपत्र प्रायः सुरक्षित माना जाता है।
ऋणपत्र के दवारा लिए गए उधार को हमें कई प्रकार से चुकाना होता है जैसे- एकमुश्त भुगतान, किस्तों में भुगतान। इसलिए इसे कर्ज के समान माना जाता है।
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