a short essay on madhukar upadhyay
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पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ( जन्म: २५ सितम्बर १९१६–११ फ़रवरी १९६८) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे।राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए
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Pandit Deendayal Upadhyay (born: 25 September 1914 - 11 February 1949) was a thinker and organizer of the Rashtriya Swayamsevak Sangh. He was also the President of Bharatiya Jana Sangh. He presented the eternal ideology of India in an epoch-like manner and gave the country an ideology called Integral Humanism. He was an advocate of an inclusive ideology that wanted a strong and strong India. Apart from politics, he also had a keen interest in literature. He wrote many articles in Hindi and English languages, which were published in various journals and magazines.
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