Hindi, asked by parthsaini4395, 1 year ago

a short note on mera bachpan in hindi

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Answered by Parveensaidask
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बचपन के दिन बड़े ही सुहावने दिन होते हैं बचपन बड़ा ही आनंददायक और जोशीला होता है। हर किसी को अपना बचपन कभी ना कभी याद आता ही है शायद ही ऐसा कोई इन्सान होगा जिसे अपना बचपन याद ना आया हो। बचपन की मीठी -मीठी यादों में खेलना कूदना , रोज़ मार खाकर स्कूल जाना और स्कूल से आते ही बाहर खेलने भागना , पेड़ों पर चढ़ फ़ल तोड़ना और फ़िर मालिक के आने पर नौ दो ग्यारह हो जाना क्या याद आता है आपको ?



Mera Bachpan Essay

बचपन में गुल्ली डंडा , कंचे , लुक्न छुपायी कितने मज़े से खेला करते थे ।

उंची –उंची आवाज़ में हमेशा इकठे होकर “अक्कड़ बक्कड बम्बा वो अस्सी नब्बे पूरे सौ , सौ में लगा धागा चोर निकल कर भागा और पौस्म पा भाई पौस्म पा इन शब्दों के बिना तो सभी खेल अधूरे से लगते थे ।

पतंगे तो बहुत उड़ाई होंगी पतंग  उड़ाने के इलावा ना पतंगों के पेचों का सिलसिला रुकता था और ना ही पतंग को उड़ाने का तब तक हार नहीं मानते थे जब तक दुसरे की पतंग को काट ना दिया जाए उस वक्त पतंग जा खेल हमें बताने की कोशिश करता था के पतंग भले ही काट जाये पर उम्मीद की डोर नहीं कटनी चाहिए

बारिश के मौसम में तो झूम उठते थे बारिश में नहाना और बारिश के पानी में कागज की नाव चलाना और उसमें चींटियां पकड़ कर बैठा देना कॉपी के आधे पन्ने तो नाव बनाने में ही गायब हो जाते थे  भला कौन भूल सकता है उन दिनों को

चिड़िया उड़ तोता उड़ और यदि कोई गलती से गधे को उड़ा देता था तो उसकी जमकर पिटाई होती थी ।

साईकल के टायर को एक छोटी सी छड़ी से चलाना ऐसे चलाते थे मानो हेलीकाप्टर चला रहे हों कसम से बड़ा मज़ा आता था .

दिन रात की तो कोई चिंता ही नहीं होती थी जब गिल्ली डंडा साथ होता था माँ कितनी भी आवाजें लगा लेती पर जाने का मन ही नहीं करता था जब तक माँ कान से पकड़ कर ना ले जाती थी ।

राजा वजीर और चोर सिपाही का खेल में तो अनोखा ही मज़ा था चोर का मूंह तो देखने योग्य होता था और राजा तो ख़ुशी के मारे उंची चिला उठता था राजा बोले वजीर कौन कई बार तो खेल खेल में आपस में लड़ भी बैठते थे । घर की खिड़कियों और दरवाज़ों पर लटकना यही तो खेल हुआ करते थे ।

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