A short paragraph on Ek Akela channa bhad nahi phod sakta
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एक गाँव में सूरज नाम का एक आदमी रहता था । वह एक किसान था । वह चार एकड़ ज़मीन का मालिक था । अपने खेत में तरकारी की खेती करता था । सूरज का परिवार शहर में रहता था और वह अकेला रहता था । उसने खेत में काम करने के लिए छ: लोगों को रखा था । सूरज एक अच्छा व चतुर किसान था ।
पिछले साल अच्छी बारिश नहीं हुई । तालाब और बोरवेल में पानी बहुत कम हो गया । तरकारी उगाने के लिए भी पानी कम हो गया और सूरज ने तूअरदाल की खेती करने का निश्चय किया । तूअरदाल की खेती में कम पानी और कम परिश्रम की ज़रूरत पड़ती है। कम परिश्रम के कारण काम करने के लिए कम लोगों की ज़रूरत पड़ती है । सूरज ने निश्चय किया इ उसे अकेले ही चार एकड़ की ज़मीन पर खेती करनी चाहिए । उसने अपने छ: कर्मियों को काम से निकाल दिया ।
अकेले-अकेले खेत में काम करने से सूरज की तबीयत बिगड़ गई । सही वक्त पर खेत में काम न करने के कारण उपज भी कम हो गई । अच्छी बरसात आने पर भी वह खेत पर काम न कर सका । जब वह अनाज लेकर मंडी गया, उसे अच्छे दाम तो मिले लेकिन उपज कम होने के कारण वह कम पैसे ही बना सका । एक वर्ष के उसके परिश्रम का फल बहुत थोड़ा था ।
मंडी में उसने अपने कर्मियों को देखा । वे सब अब जीवन के साथ काम करते थे। जीवन ने पानी कम होने पर भी खेत को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर तरकारी उगाई थी । जब बारिश हुई , उसने थोड़ी और जगह पर भी खेती की। मंडी में जीवन तरह-तरह की बहुत सारी सब्जियाँ लाया था । इसे देखकर सूरज को लगा कि अकेले काम करने की उसकी सोच गलत थी । वास्तव में यदि वह मिल-जुलकर काम करता तो जीवन की तरह उसकी फसल चौगुनी होती । उसके कर्मचारी भी उसके साथ होते ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि "अकेला चना उछलकर भाड़ नहीं फोड़ सकता ।"
Answer:
एक गाँव में सूरज नाम का एक आदमी रहता था । वह एक किसान था । वह चार एकड़ ज़मीन का मालिक था । अपने खेत में तरकारी की खेती करता था । सूरज का परिवार शहर में रहता था और वह अकेला रहता था । उसने खेत में काम करने के लिए छ: लोगों को रखा था । सूरज एक अच्छा व चतुर किसान था ।
पिछले साल अच्छी बारिश नहीं हुई । तालाब और बोरवेल में पानी बहुत कम हो गया । तरकारी उगाने के लिए भी पानी कम हो गया और सूरज ने तूअरदाल की खेती करने का निश्चय किया । तूअरदाल की खेती में कम पानी और कम परिश्रम की ज़रूरत पड़ती है। कम परिश्रम के कारण काम करने के लिए कम लोगों की ज़रूरत पड़ती है । सूरज ने निश्चय किया इ उसे अकेले ही चार एकड़ की ज़मीन पर खेती करनी चाहिए । उसने अपने छ: कर्मियों को काम से निकाल दिया ।
अकेले-अकेले खेत में काम करने से सूरज की तबीयत बिगड़ गई । सही वक्त पर खेत में काम न करने के कारण उपज भी कम हो गई । अच्छी बरसात आने पर भी वह खेत पर काम न कर सका । जब वह अनाज लेकर मंडी गया, उसे अच्छे दाम तो मिले लेकिन उपज कम होने के कारण वह कम पैसे ही बना सका । एक वर्ष के उसके परिश्रम का फल बहुत थोड़ा था ।
मंडी में उसने अपने कर्मियों को देखा । वे सब अब जीवन के साथ काम करते थे। जीवन ने पानी कम होने पर भी खेत को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर तरकारी उगाई थी । जब बारिश हुई , उसने थोड़ी और जगह पर भी खेती की। मंडी में जीवन तरह-तरह की बहुत सारी सब्जियाँ लाया था । इसे देखकर सूरज को लगा कि अकेले काम करने की उसकी सोच गलत थी । वास्तव में यदि वह मिल-जुलकर काम करता तो जीवन की तरह उसकी फसल चौगुनी होती । उसके कर्मचारी भी उसके साथ होते ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि "अकेला चना उछलकर भाड़ नहीं फोड़ सकता ।"
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