A short paragraph on sati pratha
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सती, (संस्कृत शब्द 'सत्' का स्त्रीलिंग) कुछ पुरातन भारतीय हिन्दू समुदायों में प्रचलित एक ऐसी धार्मिक प्रथा थी, जिसमें किसी पुरुष की मृत्योपरांत उसकी पत्नी उसके अंतिम संस्कार के दौरान उसकी चिता में स्वयमेव प्रविष्ट होकर आत्मत्याग कर लेती थी। 1829 में अंग्रेजों द्वारा भारत में इसे गैरकानूनी घोषित किए [1]जाने के बाद से यह प्रथा प्राय: समाप्त हो गई थी । वास्तव मैं सती होने के इतिहास के बारे मे पूर्ण सत्यात्मक तथ्य नही मिले हैं। यह वास्तव मैं राजाओ की रानियों अथवा उस क्षेत्र की महिलाओं का अंग्रजो के आक्रमण के समय यदि उनके रक्षकों की हार हो जाती तो अपने आत्मसम्मान को बचने के लिए स्वयं दाह कर लेती इसका सबसे बड़ा उदाहरण चितोड़ की महारानी पद्मनी का आता हैं।
इस प्रथा का अंत राजाराम मोहन राय ने अंग्रेज के गवर्नर लार्ड विलियम बैंटिक कि सहायता से की ।।