a short poem on swantratara Diwise in hindi
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जब भारत आज़ाद हुआ था|
आजादी का राज हुआ था||
वीरों ने kurbani दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
भगत सिंह ने फांसी ली थी|
इंदिरा का जनाज़ा उठा था||
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी||
वतन का tiranga ऐसा था|
जो सबसे लड़ता जा रहा था||
लड़ते लड़ते जाने गयी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|
इस देश के रिश्तों को तोडा था||
आजादी का राज हुआ था||
वीरों ने kurbani दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
भगत सिंह ने फांसी ली थी|
इंदिरा का जनाज़ा उठा था||
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी||
वतन का tiranga ऐसा था|
जो सबसे लड़ता जा रहा था||
लड़ते लड़ते जाने गयी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|
इस देश के रिश्तों को तोडा था||
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