Hindi, asked by smrithishetty8, 1 year ago

A simple summary of 'Dharm ki aad me' class 9 .

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Answered by michaeljohnjohn85
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पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ ‘ धर्म की आड़ ’ में विद्‍यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्‍ध करने की फ़िराक में रहते हैं। उन्होंने बताया है की कुछ चालाक व्यक्ति साधारण आदमी को अपने स्वार्थ हेतु धर्म के नाम पर लड़ते रहते हैं। साधारण आदमी हमेशा ये सोचता है की धर्म के नाम पर जान तक दे देना वाजिब है।

पाश्चत्य देशों में धन के द्वारा लोगों को वश में किया जाता है, मनमुताबिक काम करवाया जाता है। हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिल लोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेते हैं और फिर धर्म, ईमान के नाम पर लोगों को आपस में भिड़ाते रहते हैं और अपना व्यापार चलते रहते हैं। इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग करना चाहिए। यदि किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी के धर्म में टांग अड़ाते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए।

देश की स्वाधीनता आंदोलन में जिस दिन खिलाफत, मुल्ला तथा धर्माचार्यों को स्थान दिया गया वह दिन सबसे बुरा था जिसके पाप का फल हमे आज भी भोगना पड़ रहा है। लेखक के अनुसार शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नही है। शुद्धाचरण और सदाचरण धर्म के चिन्ह हैं। आप ईश्वर को रिश्वत दे देने के बाद दिन भर बेईमानी करने के लिए स्वतंत्र नही हैं। ऐसे धर्म को कभी माफ़ नही किया जा सकता। इनसे अच्छे वे लोग हैं जो नास्तिक हैं।
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