Hindi, asked by fgfddriyankibathrs, 1 year ago

a small paragraph on kalpana chawla in hindi ?

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Answered by tejasmba
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कल्पना चावला

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्रा में जाने का गौरव पाने वाली पहली महिला थी कल्पना चावला। उनका जन्म 17 मार्च 1962 में हरियाना के करनाल जिले में एक व्यापारि परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती था। वह अपने परिवार में सभी भाई बहनों मे सबसे छोटी थी।

उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा करनाल के टैगोर स्कूल से की थी। बचपन से ही कल्पना की रुची पढ़ाई के साथ-साथ हवाई करतब में भी थी। वह हमेशा अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। डिग्री प्राप्त करने के बाद कल्पना नें 1884 में टेक्सास से इंजनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी।

1988 में कल्पना नासा में शामिल हुई। नासा में रहकर उन्होंने काफी शोध किए। 1983 में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और उनसे शादी की और 1990 में अमेरिका की नागरिक बनीं। उन्हें 1998 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था।

अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सोलह दिन के अंतरिक्ष अभियान के बाद लौट रहा अमरीकी अंतरिक्ष यान 2 फरवरी की शाम में कोलंबिया में धरती से 63 किलोमीटर की ऊंचाई पर धमाके के साथ टूटकर बिखर गया। यान का मलबा अमरीका के टेक्सास शहर में गिरा।
Answered by neelimashorewala
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भारत की बेटी-कल्पना चावला करनाल, हरियाणा, भारत. में एक हिंदू भारतीय परिवार में पैदा हुई थीं। उनका जन्म १७ मार्च् सन् १९६२ मे  हुआ था। कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेजचंडीगढ़, भारतसे करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। कल्पना जी ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी। कल्पना जी मार्च १९९५ में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और उन्हें १९९८ में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन १९ नवम्बर १९९७ को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-८७ से शुरू हुआ अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई।  १ फ़रवरी २००३ को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“





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