a small poem in hindi about soil
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कल वाले दिन अब परसों हुएउस जुनू को जिये बरसो हुए
दिन कटता था जिसके दीदार मेंउस इश्क़ को किये बरसो हुए
वो भी क्या दिन थेलगता हैं सब कल परसों हुए
हाथो में हाथ हसीना का साथउसे बाँहों में भरे बरसो हुए
जिस मंज़र से की थी इस क़दर चाहत हमनेउस गली से गुजरे बरसो हुए
दिन कटता था जिसके दीदार मेंउस इश्क़ को किये बरसो हुए
वो भी क्या दिन थेलगता हैं सब कल परसों हुए
हाथो में हाथ हसीना का साथउसे बाँहों में भरे बरसो हुए
जिस मंज़र से की थी इस क़दर चाहत हमनेउस गली से गुजरे बरसो हुए
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