A speech on this topic प्रथम सुख, निरोगी काया
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एक सुखमय जीवन को जीने के लिए हमें ७ सुखों की अवक्षकता होती है जिसमे सबसे पहला व प्रमुख सुख – निरोगी काया हैं। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित रहेगे तो दुनिया का कोई भी सुख हमें आनंद नहीं दे पायेगा।
एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन, मस्तिष्क, स्वभाव सभी अस्त−व्यस्त रहते है। जहाँ एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर, विद्या अर्जित करने और कला-कौशल क्षेत्र में प्रवेश कर कहीं भी सफलता प्राप्त कर सकता है वहीँ एक रोगी व्यक्ति सभी प्रकार की सुख सुविधायें होते हुए भी उनका उपयोग नहीं कर सकता। इसलिए नीरोग रहना जीवन की प्रथम आवश्यकता मानी गई है। यदि व्यक्ति नीरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और उसे दूसरों को भी बाँट सकता है।
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का विकास होता है इसलिए सदैव निरोगी रहिये व अपने स्वास्थ्य की रक्षा करे।