a story on चंचल बालक in hindi
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Answer:बेबस माँ बेटे की कहानी का सुन्दर चित्रण
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चंचल मन
ये मन भी कितना चंचल है| प्रकाश की गति से भी तेज, बहुत तेज चलता है| या ये कहूँ कि दौड़ता है | इसकी चंचलता का क्या बखान करूँ, ये इस पल में तो मेरे साथ होता है और कहीं पलक झपकते ही, ये हजारों कोसों दूर किसी समुंदर में गोते लगाती मछलियों के साथ तैरता नज़र आता है| मैं कई बार इसे समझा बुझाकर वापस लेकर आती हूँ |
फिर भी मुझे बस यह एक झलक दिखाकर दोबारा धोका देकर निकल जाता है, फिर कहीं किसी दूसरी दुनिया की सैर करने के लिए| कभी ये आकाश में उड़ते परिंदे के साथ हवा के साथ अठखेलियां करता है, तो कभी हिमालय सी ऊंची पर्वत की चोटी पर खड़े होकर मुझे जीभ चिडाता नज़र आता है, कभी नेता के साथ खुद को किसी मंच पर भाषण देता हुआ गर्व महसूस करता है, तो कभी किसी फ़िल्मी कलाकार के साथ तस्वीर लेने के लिए उत्साहित होता नज़र आता है| वाकई यह मन कितना चंचल है | मना करते करते भी ना जाने कहाँ कहाँ चला जाता है|
बस इसी तरह दौड़ता हुआ आज यह मन एक छोटे से घर में जा पंहुचा | मैंने इस बार भी मना किया था इसे कि दूसरों के घरो में नहीं झाँका करते, पर इसने क्या आज तक मेरी सुनी थी जो ये आज सुनने वाला था | ये तो चल पड़ा था रोज की तरह अपने सुनहरे सफ़र की तलाश में, इसी चाह में कि शायद आज उसे इस घर से किसी के चूल्हे पर पकी मक्के की रोटी की सोंधी सी खुशुबू आ जाये|
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