a story on lalach,kapat and jhutt
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दोस्तों लालच वाकई में ऐसी चीज है जो आज नहीं तो कल, हमें जीवन में नुकसान जरुर देती है| हम चाहे कितना ही लालच ना करने के बारे में सोच लें पर फिर भी कहीं ना कहीं लालच कर ही बैठते है| आज की हमारी कहानी Lalach Buri Bala Hai Moral Stories in Hindi इसी विषय पर केन्द्रित है|
बहुत समय पहले की बात है| एक गाँव में एक शिकारी रहता था| जो जंगली जानवरों का शिकार करके अपना भरण पोषण करता था| गाँव के पास ही एक जंगल था, जहाँ वह रोज शिकार करने निकल जाता| एक दिन शिकारी, शिकार करते-करते जंगल में दूर तक निकल गया| तभी उसे एक मैदान में एक हिरण घांस चरते हुए दिख गया| उसके मन में कई दिनों से हिरन का शिकार करने की लालसा थी| हिरन को देखकर वह बहुत खुश हुआ| उसने बिना कोई आहात किये बड़ी ही सावधानी से तीर को कमान पर चढ़ाया और हिरण की और निशाना लगाकर छोड़ दिया|
आप पढ़ रहें हैं hindishortstories.com द्वारा संकलित कहानी Lalach Buri Bala Hai Moral Stories in Hindi
शिकारी का निशाना अचूक था| तीर हिरण के ठीक गर्दन पर जा कर लगा और गर्दन के अन्दर घुस गया| अचानक हुए इस प्रहार से हिरण वहीँ गिर कर ठंडा हो गया| अगले ही पल शिकारी हिरन के पास पहुंचा| हिरन हष्ट-पुष्ट था| उसने बिना कोई देर किए हिरन को अपने कंधे पर उठा लिया| तभी उसे उसी मैदान में एक जंगली सुवर दिखाई दिया| उसने सोचा, बड़े दिनों बाद आज बहुत अच्छा दिन है| आज मुझे दोनों के शिकार से काफी मांस मिल जाएगा जिसे बेचकर में काफी सारा धन अर्जित कर सकता हूँ| बस शिकारी के सोचने भर की देर थी, उसने हिरण को निचे रखा और सुवर पर निशाना साधा|
इस बार किस्मत ने शिकारी का साथ नहीं दिया| शिकारी का निशाना थोडा चुक गया| जिससे सुवर घायल हो गया और घायल अवस्था में ही वह शिकारी की और झपटा| यह सब इतना जल्दी हुए की शिकारी को सम्हालने का मोका नहीं मिला| सुवर ने सीधा शिकारी की कमर पर टक्कर मारी| सुवर की टक्कर से शिकारी थोडा दूर जा गिरा| मगर इतने से सुवर का बदला पूरा नहीं हुआ| सुवर की छाती में शिकारी का तीर लगा था जिससे काफी खून बह रहा था लैकिन फिर भी वह खून का बदला खून से लेना चाह रहा था|
शिकारी सुवर की एक टक्कर से ही घायल हो चूका था फिर भी वह किसी तरह अपने आप को सम्हाल का उठा| शिकारी अपने बचाव का कोई उपाय सोच ही रहा था की तभी सुवर ने दुबारा उस पर हमला कर दिया| सुवर का हमला इस पर पिछले हमले से भी ज्यादा खातार्नाख था| सुवर के इस हमले से शिकारी के मुह से अंतिम चींख निकली और शिकारी वहीँ ढेर हो गया|सुवर भी शिकारी को मरने के बाद बच ना सका| सुवर के शरीर से काफी मात्रा में खून बह चूका था| जिससे वह भी जमीन पर गिर पड़ा|
सुवर ने मरते-मरते एक सांप को भी मौत के मुह में पहुंचा दिया| हुआ यह की शिकारी के हमले के बाद जैसे ही सुवर जमीन पर गिरा तभी वहां एक सांप भी पेड की कोटर से बहार निकला हुआ था| तड़पता हुआ सुवर सीधा सांप के ऊपर गिर गया जिससे सांप भी वहीँ मर गया|
अब उस मैदान में चार शव पड़े हुए थे| हिरण, शिकारी, सुवर और सांप के|
बहुत समय पहले की बात है| एक गाँव में एक शिकारी रहता था| जो जंगली जानवरों का शिकार करके अपना भरण पोषण करता था| गाँव के पास ही एक जंगल था, जहाँ वह रोज शिकार करने निकल जाता| एक दिन शिकारी, शिकार करते-करते जंगल में दूर तक निकल गया| तभी उसे एक मैदान में एक हिरण घांस चरते हुए दिख गया| उसके मन में कई दिनों से हिरन का शिकार करने की लालसा थी| हिरन को देखकर वह बहुत खुश हुआ| उसने बिना कोई आहात किये बड़ी ही सावधानी से तीर को कमान पर चढ़ाया और हिरण की और निशाना लगाकर छोड़ दिया|
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शिकारी का निशाना अचूक था| तीर हिरण के ठीक गर्दन पर जा कर लगा और गर्दन के अन्दर घुस गया| अचानक हुए इस प्रहार से हिरण वहीँ गिर कर ठंडा हो गया| अगले ही पल शिकारी हिरन के पास पहुंचा| हिरन हष्ट-पुष्ट था| उसने बिना कोई देर किए हिरन को अपने कंधे पर उठा लिया| तभी उसे उसी मैदान में एक जंगली सुवर दिखाई दिया| उसने सोचा, बड़े दिनों बाद आज बहुत अच्छा दिन है| आज मुझे दोनों के शिकार से काफी मांस मिल जाएगा जिसे बेचकर में काफी सारा धन अर्जित कर सकता हूँ| बस शिकारी के सोचने भर की देर थी, उसने हिरण को निचे रखा और सुवर पर निशाना साधा|
इस बार किस्मत ने शिकारी का साथ नहीं दिया| शिकारी का निशाना थोडा चुक गया| जिससे सुवर घायल हो गया और घायल अवस्था में ही वह शिकारी की और झपटा| यह सब इतना जल्दी हुए की शिकारी को सम्हालने का मोका नहीं मिला| सुवर ने सीधा शिकारी की कमर पर टक्कर मारी| सुवर की टक्कर से शिकारी थोडा दूर जा गिरा| मगर इतने से सुवर का बदला पूरा नहीं हुआ| सुवर की छाती में शिकारी का तीर लगा था जिससे काफी खून बह रहा था लैकिन फिर भी वह खून का बदला खून से लेना चाह रहा था|
शिकारी सुवर की एक टक्कर से ही घायल हो चूका था फिर भी वह किसी तरह अपने आप को सम्हाल का उठा| शिकारी अपने बचाव का कोई उपाय सोच ही रहा था की तभी सुवर ने दुबारा उस पर हमला कर दिया| सुवर का हमला इस पर पिछले हमले से भी ज्यादा खातार्नाख था| सुवर के इस हमले से शिकारी के मुह से अंतिम चींख निकली और शिकारी वहीँ ढेर हो गया|सुवर भी शिकारी को मरने के बाद बच ना सका| सुवर के शरीर से काफी मात्रा में खून बह चूका था| जिससे वह भी जमीन पर गिर पड़ा|
सुवर ने मरते-मरते एक सांप को भी मौत के मुह में पहुंचा दिया| हुआ यह की शिकारी के हमले के बाद जैसे ही सुवर जमीन पर गिरा तभी वहां एक सांप भी पेड की कोटर से बहार निकला हुआ था| तड़पता हुआ सुवर सीधा सांप के ऊपर गिर गया जिससे सांप भी वहीँ मर गया|
अब उस मैदान में चार शव पड़े हुए थे| हिरण, शिकारी, सुवर और सांप के|
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I think that it will help u
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areeb120:
abe chal nikal yahaa se
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