अंतिम चार पत्तियों का सरल
शब्दों मे लिखिम
पते
25
30
।
बंद नहीं, अब भी चलते हैं
नियति नटी के कार्य-कलाप ।
पर कितने एकांत भाव से
कितने शांत और चुपचाप ।।
Answers
Explanation:
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥
भावार्थ — कवि कहता है कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी पैâली हुई है, जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो। पृथ्वी हरे घास के तिनकों की नोंक के माध्यम से अपनी प्रसन्नता को व्यक्त कर रही है। तिनकों के रूप में उसका रोमांचित होना दिखाई देता है; अर्थात् तिनकों की नोंक चाँदनी में चमकती है और उसी चमक से पृथ्वी की प्रसन्नता व्यक्त हो रही है। मंद सुगंधित वायु बह रही है, जिसके कारण वृक्ष धीरे-धीरे हिल रहे हैं, तब ऐसा मालूम पड़ता है मानों सुंदर वातावरण को पाकर वृक्ष भी मस्ती में झूम रहे हों। तात्पर्य यह है कि सारी प्रकृति प्रसन्न दिखाई दे रही है।