अंत विवाह किसे कहते हैं
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इस वृत्त से बाहर किसी व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध वर्जित होता है, किंतु इस बड़े वृत्त के भीतर अनेक छोटे छोटे समूहों के अनेक वृत्त होते हैं, प्रत्येक व्यक्ति को इस छोटे वृत्त के समूह के बाहर, किंतु बड़े वृत्त के भीतर ही विद्यमान किसी अन्य समूह के व्यक्ति के साथ विवाह करना पड़ता है।
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अंतर्विवाह के अनुसार एक विशिष्ट वर्ग के व्यक्तियों को उसी वर्ग के अंदर रहने वाले व्यक्तियों में से ही वधू को चुनना पड़ता है। वे उस वर्ग से बाहर के किसी व्यक्ति के साथ विवाह नहीं कर सकते। दूसरे प्रकार के (बहिर्विवाह) नियमों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को एक विशिष्ट समूह से बाहर के व्यक्तियों के साथ ही, विवाह करना पड़ता है। इन्हें वृत्तों के उदाहरण से भली भाँति समझा जा सकता है। प्रत्येक समाज में एक विशाल बाहरी वृत्त होता है। इस वृत्त से बाहर किसी व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध वर्जित होता है, किंतु इस बड़े वृत्त के भीतर अनेक छोटे छोटे समूहों के अनेक वृत्त होते हैं, प्रत्येक व्यक्ति को इस छोटे वृत्त के समूह के बाहर, किंतु बड़े वृत्त के भीतर ही विद्यमान किसी अन्य समूह के व्यक्ति के साथ विवाह करना पड़ता है। हिंदू समाज में इस प्रकार का विशाल वृत्त जाति का है और छोटे वृत्त विभिन्न गोत्रों के हैं। सामान्य रूप से इस शताब्दी के आरंभ तक प्रत्येक हिंदू को अपनी जाति के भीतर, किंतु गोत्र से बाहर विवाह करना पड़ता था। वह अपनी जाति से बाहर और गोत्र के भीतर विवाह नहीं कर सकता था।
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