अंतरिक्ष की नई नई खोजों पर एक लेख लिखिए
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यह टेलिस्कोप अंतरिक्ष की कई ऐसी तस्वीरें ले चुका है, जिन्होंने स्पेस साइंस को एक नई शक्ल दी है. मंथन के इस खास अंक में होंगी अंतरिक्ष की बातें. कार्यक्रम में उपग्रहों के जरिए धरती को समझने की कोशिश, अंतरिक्ष की अनोखी तस्वीरें जमा करते टेलिस्कोपों के बारे में रोचक जानकारी और किस तरह की जा रही है मंगल पर जीवन की खोज.
एफेल्सबर्ग के टेलिस्कोप की चौड़ाई 100 मीटर है और इसे 1971 में जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ने तैयार किया था. 29 साल तक यह दुनिया का इकलौता सबसे बड़ा टेलिस्कोप रहा जिसे घुमाया भी जा सके. यह ब्लैक होल्स पर नजर रखता है, इस बात के आंकड़े जुटाता है कि हवा में धूल मिट्टी के अंश कितने बढ़ गए हैं, कौन सी गैस कितनी मात्रा में है. इसे और करीब से जानें मंथन की रिपोर्ट में.
इस तरह के टेलिस्कोप जमीन पर रह कर आसमान की तस्वीरें ले रहे हैं, तो आसमान में कई सैटेलाइट भी हैं जो अंतरिक्ष से पृथ्वी की तस्वीरें लेते हैं. यूरोपियन स्पेस एजेंसी ईएसए ने 2013 में तीन ऐसे सैटेलाइट भेजे. स्वार्म नाम के इस प्रोजेक्ट को नवंबर में लॉन्च किया गया. स्वार्म का मकसद है धरती के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र की जांच करना और यह समझना कि सूरज का हमारी पृथ्वी पर कैसा असर पड़ता है.
ब्रह्मांड में हर वक्त कॉस्मिक कणों की बमबारी से जूझती हमारी पृथ्वी. ये कण सूर्य और ब्रह्मांड की गहराइयों से आते हैं. लेकिन धरती का चुंबकीय क्षेत्र इस बमबारी को आराम झेलता है. इसी की बदौलत हम जिंदा हैं. इस अदृश्य चुंबकीय बल की जांच तीन स्वॉर्म सैटेलाइटें कर रही हैं. पहली बार पता चला है कि कैसे विस्तार और समय के साथ चुंबकीय क्षेत्र बदलता है. चार साल तक ये तीनों सैटेलाइट धरती के चक्कर लगाएंगे, वैसे ही जैसे चांद लगाता है. क्या क्या उम्मीदें हैं स्वार्म से, जानिए मंथन की खास रिपोर्ट में.
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Answer:
नासा ने अपने पहले शक्तिशाली स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) के रॉकेट को तैयार कर लिया है. ये रॉकेट इसी दशक के भीतर चांद पर इंसानों को ले जाएगा.
शुक्रवार को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर में इंजीनियरों ने रॉकेट के 65 मीटर ऊंचे मूल हिस्से को दो छोटे बूस्टर रॉकेटों के बीच फ़िट किया.
ये पहली बार है जब इस विशाल रॉकेट के तीनों हिस्सों को लॉन्च कंफिग्रेशन में स्थापित किया गया है.
नासा इस साल एसएलएस को उसकी पहली उड़ान पर भेजेगा.
इस मिशन को आर्टेमिस-1 नाम दिया गया है. इसके तहत एसएलएस अमेरिका की अगली पीढ़ी के क्रू व्हीकल ओरियन को चांद की तरफ लेकर जाएगा.
हालांकि पहली उड़ान में इंसानों को नहीं भेजा जाएगा. इंजीनियर 2023 में इंसानों को भेजने से पहले रॉकेट और स्पेसशिप को पूरी तरह परखना चाहते हैं