अंतरिक्ष यात्रा में क्या समस्या होती है
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नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के वैज्ञानिक सतीश के मेहता ने कहा, 'अंतरिक्ष यात्री कई हफ्तों व महीनों के लिए माइक्रोग्रैविटी ( गुरुत्वाकर्षण का कम होना) व कॉस्मिक रेडिएशन का सामना करते हैं। मिशन के दौरान उनके सोने व जागने का चक्र बिगड़ जाता है। आसपास के लोगों से कट जाने के कारण उन्हें तनाव की समस्या रहती है।
अंतरिक्ष यात्री ल्यूका परमितानो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में क़रीब साढ़े पांच महीने रहे. वो कहते हैं कि जैसे-जैसे दिन गुज़रते जाते हैं, आपकी टांगें ख़ुद आपको ही कमज़ोर और पतली महसूस होने लगती हैं. चेहरा गोल होने लगता है. वापस धरती पर आने के बाद भी नॉर्मल होने में काफ़ी समय लग जाता है.
अंतरिक्ष में शुरुआत के दिनों में एक ही दिशा में चलना पड़ता है. छह महीने बाद आप धीरे-धीरे दूसरी दिशाओं में घूमना शुरू कर देते हैं. स्पेस स्टेशन की जगह को पहचानना शुरू करते हैं.
ज़ीरो गुरुत्वाकर्षण की वजह से अंतरिक्ष यात्री हवा में ही झूलते रहते हैं. लिहाज़ा आपकी टांगों का कोई काम नहीं रहता. अंतरिक्ष में बहुत लंबे समय तक टिक पाना आसान नहीं है.