अंतरिक्ष यात्री नियुक्त होने के दो वर्ष पश्चात् ही वर्ष 1997 में कल्पना के जीवन में यह अवसर आया जबकि उन्हें अंतरिक्ष-यान
कोलम्बिया के अठारह दिवसीय अंतरिक्ष अभियान का सदस्य चुना गया। इस तरह वे अंतरिक्ष भ्रमण करने वाली पहली भारतीय महिला
बन गईं। उन्होंने अंतरिक्ष के अपने अनुभवों के बारे में कहा है-“मैं यान की खिड़की से ही अपनी धरती पर हो रहे दिन और रात वाले
भागों को निहारती रहती। महाद्वीप और महासागर धीरे-धीरे घूमते होते और धरती अपने सौंदर्य की मनोहारी छटा बिखेरती होती। मैं
यह देखकर हैरत में पड़ जाती कि सिर्फ 60 मिनट में हमारा यान धरती की परिक्रमा कर लेता है, सिर्फ 60 मिनट में। मैं सोचती कि
हमारा ग्रह वास्तव में कितना लघु, कितना क्षणभंगुर है।"
कल्पना चावला को अंतरिक्ष यात्रा का दूसरा अवसर 17 जनवरी, 2003 को मिला, जब वे सोलह दिवसीय अभियान के लिए एक
बार फिर कोलम्बिया-यान में अपने छः सहयोगियों समेत सवार हुईं, किन्तु इस बार कोलम्बिया की वापसी की यात्रा सुरक्षित न रह सकी।
कल्पना समेत छ: अंतरिक्ष यात्री दुर्घटना के शिकार होकर काल-कवलित हो गए।
आज कल्पना चावला नहीं हैं, लेकिन अपने पीछे वे दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम के द्वारा असंभव को संभव बनाने वाली
विस्मयकारी विरासत छोड़ गई हैं।
आसमान की ऊँचाइयों को नापते हुए भी कल्पना ने अपनी जड़ों को विस्मृत नहीं किया। वे अपने शहर व अपने स्कूल 'टैगोर बाल
निकेतन' के संपर्क में जीवनभर बनी रहीं। उन्हीं के प्रयासों का फल है कि प्रतिवर्ष उनके स्कूल से दो छात्राओं को नासा अपने यहाँ
आमंत्रित करता है। कल्पना भारतीय युवाओं, विशेषकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का प्रकाश-स्तंभ हैं।
(1) कल्पना चावला किस विद्यालय में पढ़ती थीं? उनकी वजह से आज विद्यालय को क्या सौभाग्य प्राप्त है?
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(ii) कल्पना चावला को प्रथम बार अंतरिक्ष-अभियान का सदस्य कब चुना गया? यान की खिड़की से वे क्या निहारा करती थीं? [2]
(iii) अंतरिक्ष यान कितने मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है? उसे देखकर कल्पना अपने मन में क्या विचार करती थीं? 121
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(iv) कल्पना को दूसरी यात्रा का अवसर कब मिला और वापसी में क्या घटना घटी?
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(v) कल्पना चावला के जीवन से नवयुवतियों को क्या शिक्षा मिलती है?
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you are absolutely right
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Sare denobili ke bharwo yaha answer mat khojo
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