अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी पर निबंध
jaldi dedo koi
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हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है और जितना अधिक हम हिंदी और प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग शिक्षा, ज्ञान विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि में करेंगे, उतनी ही तेज गति से भारत का विकास होगा।
★ भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था। हिंदी जन साधारण द्वारा बोली जाने वाली एक सरल भाषा है। हिंदी पुरातन भी है और आधुनिक भी। इसी विशेषता के कारण हिंदी को भारत की राजभाषा का सम्मान प्राप्त है।
★ आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी का महत्व और भी बढ़ गया है। हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज विदेशों में अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।
★ जितना अधिक हम हिंदी और प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग शिक्षा, ज्ञान विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि में करेंगे, उतनी तेज गति से भारत का विकास होगा।
★ हिंदी भारतवर्ष की विविधता में एकता का भी प्रतीक है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, सी. राजगोपालाचारी जैसे महापुरुषों ने हिंदी को भारत की संपर्क भाषा के रूप में अपनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
★ हिंदी भारतीयता की चेतना है तथा सभी प्रांतीय भाषाओं की संपर्क भाषा की भूमिका निभाती है। हिंदी और भारतीय प्रांतीय भाषाओं के साहित्य के परस्पर अनुवाद को हमें बढ़ावा देना होगा।
★ हिंदी और भारतीय प्रांतीय भाषाओं के साहित्य के परस्पर अनुवाद को बढावा देने से हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं में संबंध और गहरा होगा।
★ लोगों को एक दूसरे के ऐतिहासिक, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं का ज्ञान प्राप्त होगा। भारत में लोग जब यह समझेंगे कि हमारा अतीत और वर्तमान और हमारा साहित्य और संस्कृति एक है, तब राष्ट्रीय एकता की भावना और मजबूत होगी।
★भारत सरकार द्वारा विकास योजनायें तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
★इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा विश्व हिंदी सम्मेलन और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं।
★ विश्व हिंदी सचिवालय विदेशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कार्यरत है।
★सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के अंतर्गत शील्ड प्रदान की जाती है। हिंदी में लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार का प्रावधान है। आधुनिक ज्ञान विज्ञान में हिंदी में पुस्तक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार पुरस्कार प्रदान करती है। इन प्रोत्साहन योजनाओं से हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।
★ हिन्दी की शक्ति और क्षमता से हम भली-भांति परिचित हैं। महात्मा गांधी ने कहा था, कि राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।
हिंदी भाषा के अभ्युदय का काल ग्यारहवीं-बारहवीं सदी के आस-पास माना जाता है। तत्कालीन सेनाओं में भर्ती होने वाले विभिन्न भाषा-भाषी सैनिकों की मिश्रित भाषा के रूप में उदित होकर यह द्रुतगति से अधिकांश उत्तर भारत में फैल गयी थी। दुर्भाग्यवश लगभग उसी काल में इस देश में यह परम्परा प्रारम्भ हुई कि देश से बाहर जाने वाले को जातिच्युत एवं धर्मच्युत माना जाये। इस कारण अत्यंत सरल एवं वैज्ञानिक लिपि एवं व्याकरण होते हुए भी यह भाषा विदेशों में न जा सकी।