अंतरराष्ट्रीय खेलों में लड़कियों के बढ़ते कदम पर निबंध लिखो
Answers
Answer:
खेलों में महिलाओं और लड़कियों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो, इसके लिए अब महिला और बाल विकास मंत्रालय ने खेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर बुधवार को महिला और बाल विकास मंत्रालय और यूनिसेफ ने बालिकाओं के सशक्तिकरण में खेलों की भूमिका पर एक कार्यक्रम आयोजित किया. इसमें सचिन तेंदुलकर, मिताली राज, ओलंपिक पैरा एथलीट रागिनी शर्मा, अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक रश्मि झा ने हिस्सा लिया.
इस मौके पर अलग-अलग खेलों से आए इन तमाम स्टार्स ने खेलों में लड़कियों की भागीदारी को लेकर अनुभव बताए. यूनिसेफ के सद्भावना दूत सचिन तेंदुलकर ने कहा, 'मेरे जीवन की उपलब्धियां मेरे माता-पिता और परिजनों से प्रेरित है. जिन्होंने मेरी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ ही बचपन से ही मेरा सहयोग किया. सभी को अपनी बेटियों को अनमोल समझना चाहिए. उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि बोझ समझ कर जल्दी से बेटियों का विवाह करने की बजाय एक व्यक्ति के तौर पर बेटियों को स्वावलंबी बनाकर समाज में योगदान देने लायक बनाना चाहिए. इसके लिए बेटियों पर निवेश करने की आवश्यकता है, जैसा कि भारत सरकार कर रही है. हमें माता-पिताओं के सिर से वित्तीय बोझ कम करना चाहिए, ताकि लड़कियां अपनी शिक्षा पूरी कर सकें और समाज में अपनी क्षमताओं के अनुरूप कदम उठाएं तथा अपनी आकांक्षाओं को पूरा करें.'
ओलंपिक पैरा एथलीट रागिनी शर्मा ने कहा कि लैंगिकता से परे एक खिलाड़ी सामाजिक, शारीरिक और सामुदायिक बाधाओं को पारकर सकता है. मैं सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम की सराहना करती हूं, जिससे देशभर में लोगों के विचारों में बदलाव आया.'
Answer:
क्रिकेटर मिताली राज ने कहा कि एक खिलाड़ी के तौर पर मुझे विश्वास है कि लैंगिकता मायने नहीं रखती है. प्रत्येक बच्चे को खेलों में भाग लेना चाहिए, क्योंकि इससे टीम भावना को बढ़ावा मिलता है, मानसिक ताकत बढ़ती है, बच्चे स्वस्थ रहते हैं और इससे वे जीवन की चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम बनते हैं.
अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक रश्मि झा ने भारत सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि लड़कियों और लड़कों, महिलाओं और पुरुषों के लिए समानता हमारे अपने घरों और जीवन से ही शुरू करके हासिल की जाती है. घर, स्कूल और कॉलेज में एक सक्षम और सहयोगी वातावरण लड़कियों के लिए विभिन्न बाधाओं को दूर करने और अधिक से अधिक लड़कियों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करके लैंगिक समानता की दिशा में काफी मदद कर सकता है.
आंकड़े कई बार पूरी कहानी नहीं कहते. उदाहरण के लिए, बीस साल पहले भारत ने सिडनी ओलंपिक के लिए 72 खिलाड़ियों का दल भेजा था, तब दल को एक ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुआ था, भारोत्तोलन में कर्णम मलेश्वरी ने मेडल हासिल किया था.
रियो ओलंपिक में 15 खेल प्रतियोगिताओं में भारत की ओर से 117 सदस्यीय दल शामिल हुआ था. इनमें 54 महिला एथलीट शामिल थे जिन्होंने कुल मिलाकर दो मेडल हासिल किए. खेलकूद प्रतियोगिताओं में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है.
एथलीट के माता-पिता कितने प्रोग्रेसिव हैं, एथलीट का धर्म क्या है? वे शहर में रह रहे हैं या ग्रामीण इलाकों में, कौन से खेल उन्होंने चुना है और उनके परिवार की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि कैसी है?
हरियाणा में प्रति हज़ार लड़कों पर लड़कियों की संख्या कम है, 2018 में राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ प्रति हज़ार लड़के पर 924 लड़कियों का जन्म है. राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध दर भी ज़्यादा है लेकिन भारत भर में मशहूर कई महिला खिलाड़ी इस राज्य से निकली हैं.