अंतस्थ व्यंजन क्या होता है
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अंतस्थ व्यंजन क्या होता है - अन्त:स्थ व्यंजन अन्त:करण से उच्चारित होने वाले व्यंजनों को कहा जाता है। जैसे- य', 'र', 'ल' और 'व'। भीतर रहने वाला, अंदर का, भीतरी, बीच में स्थित, अन्त:करण में स्थित, मन में होने/रहने वाला, हृदयस्थ।
अन्तस्थ व्यंजन
इनकी संख्या 4 होती है।
ऊष्म व्यंजन - जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से विशेष प्रकार की गर्म (ऊष्म) वायु निकलती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते है। इनके उच्चारण में श्वास की प्रबलता रहती है ।
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अन्तःस्थ व्यंजन :- 'अन्तः' का अर्थ होता है- 'भीतर'। उच्चारण के समय जो व्यंजन मुँह के भीतर ही रहे उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है। ... ये व्यंजन चार होते है- य, र, ल, व। इनका उच्चारण जीभ, तालु, दाँत और ओठों के परस्पर सटाने से होता है, किन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता।
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