Hindi, asked by surajwaskar, 1 year ago

अंधो मे काना राजा कहानी​

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Answered by reeta40
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Explanation:

kam padhe likhe Logon mein kisi Ek ka Paida hona

Answered by adityajain104315
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Answer:

एक बार छुट्टियों में दादाजी अमर और लता को अपने साथ गाँव ले गए। गाँव में अमर और लता के ताऊजी रहते थे। उनका नाम था रामदास। एक दिन सब लोग घर के बाहर बैठे थे। तभी वहाँ एक हाकिया आ गया। उसे देखकर ताऊजी बोले-“लो आ गया अंधों में काना राजा ।”

यह सुनकर दादाजी ने चौंककर पूछा-“अरे बेटे, इसके बारे में तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?” ताऊजी बोले-“पिताजी, हमारे गाँव में ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं। यही उनकी चिट्ठी-पत्नी पढ़ता है और लिखता भी है। इसलिए यह अंधों में काना राजा है।”डाकिया बोला- “बाबूजी, मैया ठीक ही कहते हैं। अनपढ़ लोगों के बीच मैं ही तो थोड़ा-बहुत पढ़ा-लिखा हैं। इसीलिए लोग मेरा मान करते हैं। में उनकी मदद जो करता हूँ। ऐसा करके मुझे खुशी भी मिलती है और संतोष भी। बाबूजी, दूसरों की भलाई करना अच्छी बात है न ?” दादाजी ने कहा-“हाँ, बेटा ! सच कहते हो। तभी तो गाँव के लोग तुम्हें अपना राजा मानते हैं।” अमर और लता से न रहा गया। लता ने दादाजी से कहा-“दादाजी, आप हमें इस कहावत के बारे में कहानी सुनाओ।”

दादाजी कहानी शुरू करते हुए बोले-“ एक दिन एक गाँव में अंधा साधु भिक्षा माँगने आया। परंतु किसी ने उसे भिक्षा नहीं दी और उसके अंधेपन का मजाक उड़ाया। साधु ने गुस्से में आकर गाँव वालों को शाप दे दिया कि सब उसकी तरह अंधे हो जाएँ। फिर क्या था, बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएँ सब अंधे हो गए। उस समय गाँव का एक आदमी किसी काम से शहर गया था। वहाँ एक दुर्घटना में उसकी एक आँख फूट गई। वह काना हो गया। जब वह गाँव वापस लौटा, तो उसने पाया कि सभी गाँव वाले अंधे हो गए थे। यह खबर दूर-दूर तक फैल गई। । “ कुछ दिनों बाद उस गाँव में आसपास के इलाके से चोर आने लगे।

और उन अंधे गाँव वालों के घरों से रुपया-पैसा, जेवर आदि चोरी करके ले जाने लगे। बेचारे गाँव वाले परेशान हो गए। एक दिन उन्होंने अपनी पंचायत में इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए सोच-विचार किया। उन्हें गाँव से बाहर के किसी व्यक्ति पर विश्वास नहीं था। वे चाहते थे कि गाँव का ही कोई आदमी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले। अंत में सभी ने मिलकर फैसला किया और उनके बीच जो अकेला काना आदमी था, उसे अपना मुखिया बना लिया। उसे गाँव की रक्षा-सुरक्षा का काम सौंप दिया। इस तरह वह अंधों में काना राजा बन गया। ” दादाजी ने कहानी खत्म की।

दादाजी, इसका मतलब है कि अंधों में काना राजा बनने के लिए हमारे अंदर ऐसे गुण होने चाहिए जो दूसरों में न हों।” अमर ने कहा। शाबाश बेटे! तुमने बिलकुल ठीक कहा।” दादाजी ने अमर की पीठ थपथपाते हुए कहा।

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