Hindi, asked by MANEESH230, 5 hours ago

अंधेर नगरी अंग्रेजी को वस्ता का तीखा प्रहार है इस कथन की समीक्षा कीजिए​

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Answered by bhatiamona
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अंधेर नगरी अंग्रेजी को वस्ता का तीखा प्रहार है इस कथन की समीक्षा कीजिए​

अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ हिंदी के प्रसिद्ध लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखी गई एक रोचक और व्यंगात्मक कहानी है। इस कहानी के मुख्य पात्र गुरु शिष्य तथा एक राजा हैं। गुरु शिष्य एक भ्रमण करते हुए एक देश में पहुंचते हैं और वहां अपनी कुटिया बनाकर रहने लगते हैं, लेकिन गुरु को शीघ्र ही यह आभास हो गया कि इस देश का राजा ठीक नहीं है, इसलिए उन्होंने शिष्य को समझाया हमें इस जगह को तुरंत छोड़ देना चाहिए ,नहीं तो मुसीबत में पड़ सकते हैं। लेकिन शिष्य ने गुरु की बात नही मानी और गुरु अकेले ही उस जगह को छोड़कर चले गए। गुरु जाते-जाते हुए शिष्य को हिदायत देकर गए कि सावधान होकर रहना, यदि कोई मुसीबत हो तो मुझे याद कर लेना।

शिष्य मुझे उस नगर कई महीनों तक रहता रहा और वहाँ पर अच्छा-खानपान मिलने के कारण वह मोटा-ताजा हो गया।

एक बार राज्य राज्य की एक निवासी कलावती की बकरी दीनदयाल नाम के व्यक्ति द्वारा गलती से मर गई तो कलावती न्याय के लिए राजा के पास पहुंची। राजा ने दीनदयाल को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दे दिया। दीनदयाल दुबला पतला था। फांसी का फंदा उसके गले में नहीं आया तो मूर्ख राजा ने उसकी जगह किसी मोटे ताजे व्यक्ति को फांसी पर चढ़ाने का आदेश दे दिया। राजा के सैनिक शिष्य को पकड़ लाए और उसे फांसी पर चढ़ाने लगे। स्वयं को मुसीबत में देखकर शिष्य ने गुरु को याद किया और गुरु तुरंत वहां पर आ गए। उन्होंने ऐसी तरकीब लड़ाई की और बातों में ऐसा उलझाया कि मूर्ख राजा स्वयं उस फांसी पर चढ़ गया। इस तरह गुरु गुरु ने शिष्य की जान बचाई और समझाया हमेशा गुरु की बात माननी चाहिए।

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