अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख का नीरव रोदन
क) - काव्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए |
ख) काव्यांश में निहित शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
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भाव-सौंदर्य -इन काव्य पंक्तियों में किसान की व्यथा का मार्मिक अंकन किया गया है। उसकी व्यथा उसकी आँखों से झलकती है। उनमें अंधकार-ही- अंधकार है। आशा की कोई किरण उनमें नहीं दिखाई देती। किसान का जीवन दारुण दुख, दीनता और रोदन का पर्याय बन चुका है।
शिल्प-सौंदर्य-कवि ने आँखों की उपमा अंधकार की गुहा (गुफा) से दी है, अत: उपमा अलंकार का प्रयोग है। -‘दारुण दैन्य दुख’ में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
-करुण रस का परिपाक हुआ है।
- भाषा सरल एवं सुबोध है।
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