अंधकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन भरा दूर तक उनम दाण दै दुख का नीरव रोदन वह ाधीन िकसान रहा, अिभमान भरा आँखों म इसका, छोड़ उसे मझधार आज संसार कगार सश बह खसका। क- किव का मन िके डरता है?
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यह पंक्तियाँ वे आँखें कविता से ली गई है| वे आँखें कविता सुमित्रानंदन पंत लिखी गई है| कवि ने कविता में आजाद भारत में किसानों की दुर्दशा के बारे में वर्णन किया है|
कवि का मन को किसानों की आँखों से डर लगता है| किसानों की आँखों की पीड़ा से डर लगता है| ‘उन आँखों से’ किसान की आँखों की ओर संकेत किया गया है। आज भी किसानों की हालत ठीक नहीं है , सारे देश के घरों तक आनाज पहुचाने वाला किसान आज भूखा है| उन्हें देखकर दुःख होता है | वह अपना सारा जीवन खेती में लगा देते है और बदले में इन्हें इतना सम्मान नहीं मिलता है|
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