अंधविश्वास अफवाह हमारे समाज को किस प्रकार हानि पहुंचाते हैं? इसे किस प्रकार रोका जा सकता हैं ?
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☛समाज में फैली हुई कुरीतियों और कुपरम्पराओं को देखने पर ज्ञात होता है कि लोग एक दूसरे को देखकर बिना कुछ सोच विचारे अन्धानुकरण करने का प्रयास करते रहते हैं। जबकि उससे लाभ किसी प्रकार का नहीं होता, केवल हानि ही हमारे हाथ लगती है। कभी-कभी तो हानि का पता लग जाने पर भी अभ्यास अथवा स्पर्धा के कारण उसे छोड़ना नहीं चाहते। अन्ध-विश्वास भी एक ऐसी ही कुरीति है।
अन्ध विश्वास निराधार होते हैं, पर भोले-भाले लोग उसमें फंसते चले जाते हैं। यह स्थिति समाज में तभी उत्पन्न होती है जब व्यक्ति अपने विवेक का सहारा नहीं लेना चाहता। अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये दूसरों के द्वारा बताया गया ऊल जलूल कार्य करने में भी संकोच नहीं होता। चतुर चालाक लोग भ्रमजाल फैलाकर मूढ़ व्यक्तियों को फंसाने का प्रयास करते हैं।
☛स्वयं पर विश्वास करें – अंधविश्वास से मुक्ति का एक मात्र उपाय हैं स्वयं पर विश्वास करना अपने कर्म पर विश्वास रखना जब तक आप अपने आप पर विश्वास नहीं करेंगे आपके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता है दूसरों का अनुकरण करने की बजाय स्वयं के कर्म को महत्व दीजीए।