अंधविश्वास हैं महाअभिशाप (दो निबंध) | Write an essay on Superstition
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“अंधविश्वास”
भूमिका:-> तथ्य और वास्तविकता हीन बातों पर विश्वास करना ही अंधविश्वास कहलाता है। अंधविश्वास में डूबे व्यक्ति कभी सच्चाई को नहीं देख पाते, ढोंगी व्यक्तियों के बातों पर ही विश्वास करते हैं। हमारे देश में अंधविश्वास का प्रचलन बहुत है। अंधविश्वास में डूबा व्यक्ति न ही अपनी उन्नति कर सकता है और न ही राष्ट्र की।
अंधविश्वास की उत्पत्ति:-> भूत, प्रेत, जादू- टोना अपशगुन यह सब अंधविश्वास के ही अंग हैं। महाभारत काल के बाद भारत में ठगों का परिचालन बड़ा जिसके कारण जिसके कारण ऐसी भ्रांतियां फैली। धन अर्जन करने के लिए लोगों को कभी भूतों के नाम पर डराया गया, कभी जादू टोने के नाम पर और कभी अपशागुनों के नाम पर। बच्चों को बचपन से ही डराया जाता है कि घर के बाहर मत निकलो बाहर भूत है और यही डर उनके मन में बना रहता है I जब वह बड़े भी हो जाते हैं, तो बाहर अंधेरे में जाने से हिचकिचाते हैं। कुछ नकली बाबा भी धन लेने के लिए अंधविश्वास का सहारा लेते हैं।
अंधविश्वास के दुष्परिणाम:-> अंधविश्वास में डूबे व्यक्ति ना जाने कितनी ही अपराधों को कर बैठते हैं। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अबोध बच्चों की बलि दी जाती है, ऐसा हम आए दिनों अखबारों और न्यूज चैनलों में सुनते हैं। अंधविश्वास में डूबी महिलाएं झूठे बाबाओं के संपर्क में आती हैं और उनके साथ बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं। अंधविश्वास में डूबे परिवार अपने धन को व्यर्थ गंवा देते हैं। अंधविश्वास के कारण ही बेचारी पशुओं की बलि दी जाती है।
रोकने के उपाय:-> अंधविश्वास को रोकने के लिए देश के हर नागरिक का शिक्षित होना जरूरी है, तथा अपनी विवेक और बुद्धि से काम लेना चाहिए दूसरों की बताई बातों पर जल्द विश्वास नहीं करना चाहिए । जब तक सच्चाई सामने न हो तब तक उसको सत्य नहीं मानना चाहिए।
उपसंहार:-> व्यक्ति जिस तरह का कर्म करता है वैसा ही फल पाता है इसलिए हमें कर्म करने में ही अपना अधिकार रखना चाहिए। इच्छाओं की पूर्ति कभी भी दूसरों की जान लेकर नहीं होती है।