English, asked by anshveeraujla, 11 months ago

A very beautiful poem on labour day in hindi

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Answered by pnsingh328
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Answer: मैं एक मजदूर हूँ”

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।फिर भी अपने में मगन, कर्म में तल्लीन हूँ।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।फिर भी अपने में मगन, कर्म में तल्लीन हूँ।मैं एक मजदूर हूँ, भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।फिर भी अपने में मगन, कर्म में तल्लीन हूँ।मैं एक मजदूर हूँ, भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ।आत्मसंतोष को मैंने, जीवन का लक्ष्य बनाया।

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।फिर भी अपने में मगन, कर्म में तल्लीन हूँ।मैं एक मजदूर हूँ, भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ।आत्मसंतोष को मैंने, जीवन का लक्ष्य बनाया।चिथड़े-फटे कपड़ों में, सूट पहनने का सुख पाया

मैं एक मजदूर हूँ”मैं एक मजदूर हूँ, ईश्वर की आंखों से मैं दूर हूँ।छत खुला आकाश है, हो रहा वज्रपात है।फिर भी नित दिन मैं, गाता राम धुन हूं।गुरु हथौड़ा हाथ में, कर रहा प्रहार है।सामने पड़ा हुआ, बच्चा कराह रहा है।फिर भी अपने में मगन, कर्म में तल्लीन हूँ।मैं एक मजदूर हूँ, भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ।आत्मसंतोष को मैंने, जीवन का लक्ष्य बनाया।चिथड़े-फटे कपड़ों में, सूट पहनने का सुख पायामानवता जीवन को, सुख-दुख का संगीत है।

Answered by navya7516
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Hello see this once☝☝☝☝☝

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