(आ) गुरु नानक जी की भाषाशैली की विशेषताएँ :
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गुरु नानक जी सहज-सरल भाषा में अपनी बात कहने में माहिर हैं। आपकी काव्य भाषा में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली और अरबी भाषा के शब्द समाए हुए हैं। आपने पद शैली में रचना की है। 'पद' काव्य रचना की गेय शैली है।
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गुरु नानक जी की भाषाशैली की विशेषताएँ:
- उन्के कविता में फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खारी बोली और अरबी भाषा के शब्द हैं।
- उन्होंने सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया है।
गुरु नानक
- गुरु नानक का जन्म 1469 कार्तिकेय पूर्णिमा को पंजाब में हुआ था।
- नानक की मृत्यु 22 सितंबर 1539 को हुआ था।
- उन्हें ईश्वर का अध्ययन सांसारिक अध्ययन से अधिक सुखद लगता था।
- गुरु नानक जी की तीन बड़ी शिक्षा है- नाम जपो, किरत करो और वंड छको।
गुरु नानक देव के छंद, पद, कविता:
झूठी देखी प्रीत, प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे, को काहू को भाई, जो नर दुख में दुख नहिं मानै, सूरा एक न आँखिए, राम सुमिर, राम सुमिर, हरि बिनु तेरो को न सहाई, अब मैं कौन उपाय करूँ, यह मन नेक न कह्यौ करे आदि।
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