Music, asked by jadhavsangram753, 5 months ago

(आ) 'इंद्रधनुष्याचा बांध हे उत्तर येईल असा प्रश्न तयार करा
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Answered by pratyusa7150
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इन्द्रधनुष

आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है।

द्वितीयक इंद्रधनुष

एक इंद्रधनुष ऐसा भी बनना संभव है जिसमें वक्र का बाहरी वर्ण बैंगनी रहे तथा भीतरी लाल। इसको द्वितीयक (सेकंडरी) इंद्रधनुष कहते हैं।

तीन अथवा चार आंतरिक परावर्तन से बने इंद्रधनुष भी संभव हैं, परंतु वे बिरले अवसरों पर ही दिखाई देते हैं। वे सदैव सूर्य की दिशा में बनते हैं तथा तभी दिखाई पड़ते हैं जब सूर्य स्वयं बादलों में छिपा रहता है। इंद्रधनुष की क्रिया को सर्वप्रथम दे कार्ते नामक फ्रेंच वैज्ञानिक ने उपर्युक्त सिद्धांतों द्वारा समझाया था। इनके अतिरिक्त कभी-कभी प्रथम इंद्रधनुष के नीचे की ओर अनेक अन्य रंगीन वृत्त भी दिखाई देते हैं। ये वास्तविक इंद्रधनुष नहीं होते। ये जल की बूँदों से ही बनते हैं, किंतु इनका कारण विवर्तन (डिफ़्रैक्शन) होता है। इनमें विभिन्न रंगों के वृतों की चौड़ाई जल की बूँदों के बड़ी या छोटी होने पर निर्भर रहती है।

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