आ
कहानी में काइदा अतर
प्र010 -'माई की बगिया' का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
अथवा
'सुश्रुत संहिता' का संक्षिप्त परिचय लिखिए।
प्र011 निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए।
(1) मोहन राजगढ़ में रहता है। (निषेधवाचक वाक्य)
(2) मीरा सुन्दर है।
(विस्मयादि सूचक वाक्य)
अथवा
'द्वन्द्व समास' की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए।
प्र012 वक्रोक्ति अलंकार की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए।
अथवा
रस की परिभाषा एवं उसके प्रकार लिखिए।
Answers
10.सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था।
सुश्रुतसंहिता में 186 अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे।
सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है।
इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है।
आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है।
11.द्वन्द्व समास की परिभाषा
'दौ दो द्वन्द्वम्'-दो-दो की जोड़ी का नाम 'द्वन्द्व है। 'उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्ध:'- जिस समास में दोनों पद अथवा सभी पदों की प्रधानता होती है। जैसे - द्वन्द्व समास के उदाहरण, धर्मः च अर्थः च = धर्मार्थी, धर्मः च अर्थः च कामः च = धमार्थका
12.काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाली आनंद की अनुभूति को ही रस कहा जाता हैं।
रस, छंद और अंलकार काव्य के अंग है।
रस को इंग्लिश मे Sentiments कहा जाता है।
रस के अंग
रस के चार अंग स्थाई भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव होते हैं।
1. स्थायीभाव
यह वे भाव है जो मन में स्थाई रूप से स्थापित रहते हैं। इन्हें किसी अन्य भाव के द्वारा नष्ट नहीं किया जा सकता हैं।
प्रत्येक रस का एक स्थाई भाव होता हैं।
अर्थात कुल स्थाई भाव की संख्या 9 हैं क्योंकि रसों की संख्या भी 9 हैं।
भरतमुनि के अनुसार मुख्य रसों की संख्या 8 थी शांत रस को इनके काव्य नाट्य शास्त्र में स्थान नहीं दिया गया।
मूल रूप से रसों की संख्या 9 मानी गई है जिसमें श्रृंगार रस को रस राजा कहा गया।
किन्तु बाद में हिंदी आचार्यों के द्वारा वात्सल्य और भागवत रस को रस की मान्यता मान ली गई।
इस प्रकार कुल रसों की संख्या 11 हो गई अतः स्थाई भाव की संख्या भी 11 हो गई।
2. विभाव
स्थायी भावों के उदबोधक कारण को विभाव कहते हैं विभाव 2 प्रकार के होते हैं।
a) आलंबन विभाव
b) उद्दीपन विभाव
आलंबन विभाव : जिसका आलंबन या सहारा पाकर स्थायी भाव जगते हैं आलंबन विभाव कहलाता हैं।
जैसे : नायक नायिका।
आलंबन विभाव के दो पक्ष होते हैं।
आश्रयालंबन
विषयालंबन
जिसके मन में भाव जगे वह आश्रया लंबन तथा जिसके प्रति या जिसके कारण मन में भाव जगे वह विषया लंबन कहलाता हैं।
उदाहरण : यदि राम के मन में सीता के प्रति रति का भाव जगता हैं तो राम आश्रय होगें और सीता विषय।
उद्दीपन विभाव : जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता हैं उद्दीपन विभाव कहलाता हैं।
जैसे : चाँदनी, कोकिल कूजन, एकांत स्थल, रमणीय उधान, नायक या नायिका की शारीरिक चेष्टाएं आदि।
4. अनुभाव
मनोगत (मन में उतपन्न) भाव को व्यक्त करने वाली शारीरिक प्रक्रिया अनुभव कहलाती हैं।
यह 8 प्रकार की होती हैं स्तंभ, स्वेद, रोमांच, भंग, कंप, विवर्णता, अश्रु और प्रलय
5. संचारी भाव
हृदय/मन में संचरण (आने-जाने) वाले भावों को ही संचारी भाव कहा जाता हैं
यह भाव स्थाई भाव के साथ उतपन्न होकर कुछ समय बाद समाप्त हो जाते हैं।
अर्थात यह स्थाई भाव मन में स्थाई रूप से नहीं रहते हैं।
संचारी भाव की संख्या 33 होती हैं।
Answer:
sorry siso don't no the answer