आंखों देखा फ्रीडम मैच का अनुभव 200 शब्दों में
Answers
Answer:
विद्यालय में छुट्टियाँ पड़ गई थीं। मैं परिवार के साथ मुंबई गया हुआ था। वहाँ के वानखेड़े स्टेडियम में आई.पी.एल-6 का लीग मैच देखने का अवसर प्राप्त हुआ। यह मैच सनराइजर्स हैदाराबाद और मुंबई इंडियन के बीच रात 8 बजे से खेला जाना था। स्टेडियम के गेट पर टिकट दिखाकर हम अंदर गए और सीटों पर बैठ गए।
सनराइजर्स हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। पार्थिव पटेल और शिखर धवन बल्लेबाजी के लिए उतरे। दोनों ही बल्लेबाज कुछ विशेष करने की सोच कर आए थे। दोनों ने शानदार बल्लेबाजी शुरू की। मिशेल जानसन और लसिथ मलिंगा की गेंदबाजी उन्हें रन बनाने से नहीं रोक पा रही थी। मलिंगा ने सबसे पहले पार्थिव पटेल को आउट किया, जिन्होंने 26 रन बनाए।
अब धवन का साथ देने आए युवा बल्लेबाज हनुमा विहारी। उन्होंने शानदार 41 रन बनाए। इसी बीच धवन ने अपना अर्धशतक पूरा किया और 59 रन बनाकर आउट हुए। केमरून ह्वाइट 43 और तिसारा परेरा 02 रन बनाकर अविजित रहे। इस प्रकार टीम ने तीन विकेट पर 178 रन का अपना सर्वोच्च स्कोर बनाकर मुंबई इंडियन के सामने 179 रन का लक्ष्य रखा।
जीत के लिए 179 रनों का लक्ष्य लेकर मुंबई इंडियन के बल्लेबाज ड्वेन स्मिथ और सचिन तेंदुलकर उतरे, जिन्हें देख सारा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दोनों संभलकर बल्लेबाजी कर रहे थे, पर शुरूआती दो ओवर ड्वेन ही बल्लेबाजी करते रहे। सब ठीक-ठाक चल रहा था कि चौथे ओवर में इशांत शर्मा की एक सीधी गेंद स्मिथ का मिडल स्टंप ले उड़ी। उन्होंने 26 रन बनाए। तेंदुलकर का साथ देने अब दिनेश कार्तिक आए, जिन्होंने तेंदुलकर का अच्छा साथ दिया।
तेंदुलकर अपनी लय में थे। उन्होंने युवा लेग स्पिनर करन शर्मा की गेंद पर चौका और छक्का जड़ा, परंतु इसके बाद उनके हाथ में तकलीफ हुई और वे रिटायर्ड हर्ट होकर वापस चले गए। उनका यूँ जाना हमें तनिक भी अच्छा न लगा। हमें उनके वापस आने और बल्लेबाजी करने की उम्मीद थी। अब दिनेश कार्तिक का साथ देने स्वयं कप्तान रोहित शर्मा आए।
इसी ओवर में करन शर्मा ने दिनेश कार्तिक को ह्वाइट के हाथों कैच आउट करा दिया। उन्होंने 30 रन बनाए। इसी युवा स्पिनर ने नए बल्लेबाज अंबाती रायडू को भी स्टंप करा दिया। अब मुंबई का स्कोर 3 विकेट पर 99 रन हो चुका था। अंतिम छह ओवर में मुबंई इंडियंस को जीत के लिए 79 रन चाहिए थे जो काफी मुश्किल लक्ष्य था। मुझे तो हार की संभावना दिखने लगी। दो ओवर में यह हार और निकट आती दिख रही थी।
अब टीम को 24 गेंद में 64 बनाने थे। सत्रहवाँ ओवर लेकर तिसारा परेरा आए और सामने थे बल्लेबाज कीरोन पोलार्ड। उन्होंने इसी ओवर में लगातार तीन छक्के ठोककर सारा समीकरण बिगाड़ दिया। इस ओवर में कुल उनतीस रन बने। अमित मिश्रा के अगले ओवर में पोलार्ड ने फिर
तीन छक्के ठोक दिए। इन दो ओवरों में 50 रन बनते ही लक्ष्य पास आ गया। अंतिम ओवर में जीत के लिए 7 रन चाहिए थे, जिन्हें पोलार्ड ने दो छक्के लगाकर बनाया और मैच मुंबई इंडियंस की झोली में डाल दिया। उन्होंने 27 गेदों में 66 रन की धमाकेदार पारी खेली।
मैच समाप्त होते ही स्टेडियम नीले झंडों में नहा उठा और हम घर वापस आ गए। मुझे यह रोमांचक मैच याद रहेगा।