आँख देखने का माध्यम है, देखने वाला मन है' विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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आँखें तो केवल देखने का माध्यम है, देखने वाला तो मन है ,
मन तो केवल देखने के लिए एक माध्यम है, देखने वाला तो मन होता है। यह कथन पूरी तरह सही है क्योंकि मन ही है जो किसी देखी हुई वस्तु या दृश्य की अच्छाई या बुराई के बारे में आकलन कर पाता है। आँखें जो भी देखती हैं, उसका चित्र मन को ही भेजती हैं और मन ही उस दृश्य को देखने के बाद अपनी भावनाओं का निर्माण करता है। असलियत में तो मन ही असली आँख है, क्योंकि किसी भी दृश्य संबंधी जो भी प्रक्रिया है उसके बारे में सारा आकलन मन ही करता है। आँखें तो एक लेंस की तरह है, जो केवल दृश्य को कैद करके आगे मन को प्रेषित करती है।
किसी प्राणी में यदि मन नहीं है, दिमाग नहीं है, ह्रदय नहीं है और वह केवल आँखों से देखता है तो वो उस दृश्य या वस्तु के गुण-दोष के बारे में अनुमान नही लगा पायेगा। किसी वस्तु या दृश्य को देखने से उपजी संवेदनाएं व भावनायें आदि महसूस नहीं कर पाएगा। लेकिन यदि मन है तो किसी भी दृश्य को देखने से संवेदनाएं, भावनायें, विचार भाव उत्पन्न होते हैं। ये सब मन के कारण ही उत्पन्न होते हैं, इसलिए आँखें केवल देखने का एक माध्यम है देखने वाला तो मन ही होता है।