आ) मैं गाता भी हैं। उस के हित
मेरे गाने से वह एकाकी भी बल पाता है।
किन्तु अकेला नहीं। दूसरे सबभी
उनके भीतर भी परती है
उस पर भी प्रतीक्षा-शिलित अहल्या
सोती है
जिसको मेरे भीतर का राम
जगाता है।
में गाता है! मैं गाता हूँ।
iske sandhrab sahit viyakhya kijiye
Answers
किसी शिक्षक या सीनियर की उपस्थिति में क्षात्र सामान्य रूप से डिक्शनरी अथवा शब्द-कोश के प्रयोग से कतराते हैं और जिस शब्द का अर्थ मालूम नहीं हो अपने शिक्षक से ज़बानी पूछ लेते हैं.
देखा जाए तो यह महज़ सुस्ती और आलस्य का प्रदर्शन है.
अगर किसी शब्द का मतलब बताने वाला कोई व्यक्ति मौजूद है तब भी शब्दकोश से सहायता ज़रूर लेनी चाहिए, इस के बहुत से कारण हैं, उदाहरणस्वरूप कोश में आप को शब्दों के सही उच्चारण मिल जाएंगे.
यदि शब्द किसी और अर्थ में भी प्रयुक्त होता है तो कोश में उसका विवरण भी मौजूद होगा.
अगर कोई लंबा और जटिल शब्द है तो कोश में उसके भाग को अलग अलग करके उसका सही उच्चारण भी दिया होगा और अगर वह शब्द संज्ञा और क्रिया दोनों प्रकार से प्रयोग में आता है तो दोनों का उच्चारण अलग अलग दिया हुआ होगा.
एक ही शब्द शिक्षा और कला के विभिन्न विभागों में अलग-अलग अर्थों में इस्तेमाल हो सकता है, कोश में इस का ब्योरा भी मौजूद होता है.
व्याकरण के अनुसार शब्द जिस वर्ग में आता है उसका विवरण भी कोश में दिया होता है.
संख्या और लिंग के लिहाज़ से यदि किसी शब्द में कोई परिवर्तन होता है या एकवचन और बहुवचन या स्त्रीलिंग और पुलिंग में बनावट का बुनियादी अंतर है तो हर अच्छे कोश में उसका विवरण भी दिया होता है.